Adityapur : पीएचईडी विभाग लगभग 20 वर्षों बाद कुम्भकर्णी नींद से जागा है. विभाग के अधीक्षण अभियंता शिशिर कुमार सोरेन ने पीएचईडी कॉलोनी आदित्यपुर के जर्जर क्वार्टरों का जीर्णोद्धार कराने का निर्णय लिया है. शुक्रवार को उन्होंने अपने अधीनस्थ अभियंता को क्वार्टरों का निरीक्षण व सर्वे करवा कर इस्टीमेट तैयार करने का आदेश दिया. इसके बाद सहायक अभियंता आदित्यपुर प्रमंडल अनुज कुमार सिन्हा के नेतृत्व में पीएचईडी के कर्मचारियों ने जर्जर क्वार्टरों का निरीक्षण कर जीर्णोद्धार करने की पहल शुरू कर दी है. सहायक अभियंता ने बताया कि करीब 40 जर्जर क्वार्टर का जीर्णोद्धार किया जाएगा. इसमें बी टाइप क्वार्टर 04, सी टाइप क्वार्टर 08, डी टाइप क्वार्टर 08, और ई टाइप क्वार्टर 17 हैं. उन्होंने बताया कि इन क्वार्टरों में वर्तमान में कोई परिवार नहीं रहचा है. यहां पदस्थापित कर्मचारी व इंजीनियर बाहर किराए के मकान में रह रहे हैं, जबकि कॉलोनी में कुछ कर्मचारियों के परिवार रिटायर होने के बाद भी अतिक्रमण कर कच्चे पक्के मकान बनाकर अवैध तरीके से रहते हैं. विभाग ने अब कॉलोनी के जर्जर क्वार्टर का जीर्णोद्धार करवा कर सारे कर्मचारियों और इंजीनियरों को कॉलोनी में रहने की रणनीति बनाई है. वहीं अवैध रूप से रहने वाले परिवारों को कॉलोनी से बाहर करने काभी निर्णय लिया है.
वर्ष 2002 में हुआ था जीर्णोद्धार
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https://lagatar.in/wp-content/uploads/2022/01/ADITYAPUR-PHED-11-300x165.jpg"
alt="" width="300" height="165" /> जर्जर क्वार्टर.[/caption] उल्लेखनीय है कि अंतिम बार वर्ष 2002 में कॉलोनी के क्वार्टरों का जीर्णोद्धार कराया गया था. इसके बाद से कॉलोनी पर विभाग ने ध्यान देना बंद कर दिया था. चूंकि पीएचईडी की जलापूर्ति वाले कार्य को आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (आयडा) को देने का निर्णय राज्य कैबिनेट ने ले लिया था, लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं हो पाया. इसके बाद पुनः राज्य कैबिनेट ने शहरी इलाकों में जलापूर्ति का कार्य नगर निकायों को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया. वर्तमान में शहरी इलाकों में जलापूर्ति का कार्य निकाय ही कर रहा है. इन निर्णयों से एक बार लगा था कि पीएचईडी विभाग ही बंद हो जाएगा. लेकिन वर्तमान सरकार ने विभाग के अस्तित्व को बचाते हुए ग्रामीण जलापूर्ति के साथ अब शहरी जलापूर्ति के इंजीनियरिंग पार्ट को भी पीएचईडी के पास लौटा दिया है. इससे विभाग का अस्तित्व बचा गया है. अब इसके संसाधनों को भी पुनर्जीवित किया जा रहा है. आधारभूत ढांचा को सुदृढ़ किया जा रहा है. [wpse_comments_template]
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