Adityapur (Sanjeev Mehta) : सावन मास में रुद्राक्ष धारण करने से सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती है. रुद्राक्ष की महत्ता बताते हुए दस महाविद्या काली मंदिर के आचार्य और ज्यातिषी पंडित राजेश कौण्डिल्य बताते हैं कि रुद्राक्ष भगवान शंकर का वरदान है. यह भगवान शिव के अश्रु स्वरूप पूरे ब्रह्मांड में विद्यमान है. रुद्राक्ष में कल्याण करने की महाशक्ति है. इसे धारण करने वाला व्यक्ति का स्वतः समस्याओं का निवारण होने लगता है, उसके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है. शिव पुराण में रुद्राक्ष की महत्ता बताई गई है. वे बताते हैं कि एकमुखी रुद्राक्ष स्वतः शिव का प्रतीक है. इसे धारण करने से धन, यश, मान-सम्मान प्राप्त होता है. वहीं दोमुखी रुद्राक्ष धारण करने से मन में शान्ति एवं चित्त में एकाग्रता आती है. जिससे आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. तीनमुखी रुद्राक्ष धारण करने से परम शांति और खुशहाली के साथ विद्यार्थियों को पढ़ाई में उन्नति दिलाता है. चारमुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य में वाक शक्ति और स्मरण शक्ति बढ़ता है. जबकि पांचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से परम शांति मिलती है और सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है.
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छहमुखी रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है इसके धारण करने से स्त्रियों को परम सौभाग्य प्राप्त होती है, रोगों का नाश होता है. सातमुखी रुद्राक्ष सप्तर्षियों का प्रतीक है, इसके धारण करने से मनुष्य धन संपत्ति और हर काम में विजय प्राप्त करता है. वहीं अष्टमुखी रुद्राक्ष अष्टभुजा देवी दुर्गा और भगवान गणेश का प्रतीक माना गया है जो मनुष्य को वैभव और समस्त समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सहायक माना गया है. नौमुखी रुद्राक्ष नौ दुर्गा और नवग्रह शांति का प्रतीक माना गया है. इसे धारण करने से मनुष्य अकाल मृत्यु से बचता है और शत्रुओं को पराजित करने में सफलता प्राप्त करता है. जबकि दसमुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान विष्णु के स्वरूप माने जाते हैं, इसके धारण करने से मनुष्य का समस्त विघ्न बाधाएं दूर होती है और वह लौकिक और पारलौकिक दोनों लाभ प्राप्त करता है. उन्होंने बताया कि इन दिनों उनके दस महाविद्या मंदिर में समस्त रुद्रों की विशेष पूजा अर्चना के उपरांत भक्तों को महाप्रसाद स्वरूप रुद्राक्ष वितरित किया जा रहा है.
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