Adityapur (Sanjeev Mehta) : मंगलवार को दिंदली में चड़क मेला में आस्था का सैलाब दिखा. 41 डिग्री तापमान में भी 15 शिव भक्तों ने शरीर मे लोहे की कील से छिद्र कराकर रजनी फोड़ा कराया और तालाब से जलभरकर उसे पौराणिक शिव मंदिर तक पहुंचाया. वहीं बस्ती वासियों ने अपने इष्टदेव को 40 बकरों की बलि दी. बता दें कि 205 सालों का इतिहास है दिंदली चडक मेला का.आदित्यपुर स्थित दिंदली बस्ती का पौराणिक शिव मंदिर आज भी अपने पौराणिक इतिहास काल को संजोए हुए है. सन 1818 से लगातार यहां प्रतिवर्ष जून के दूसरे सप्ताह के सोमवार और मंगलवार को चड़क पूजा और मेले का आयोजन होता है. चडक पूजा के पहले दिन सोमवार को देर यात्रा घट लाया जाता है जबकि दूसरे दिन मंगलवार को रजनी फोड़ा और बलि देने की प्रथा है. भक्त शरीर में लोहे के कील से छिद्र कराकर उससे रस्सी पारकर नाचते हुए मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं. बस्ती के बड़े बुजुर्गों के अनुसार
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भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था प्रकट की
महामारी और अकाल दूर करने के लिए यह पूजा शुरू हुई थी. तकरीबन 205 साल पूर्व वर्ष 1818 में दिंदली गांव में भयंकर अकाल और महामारी फैली थी, बिना बारिश हर ओर सुखाड़ पड़ा था. ऐसे में लोगों ने यहां के पौराणिक शिव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की और मन्नतें मांगी थी. पूजा कमेटी के अध्यक्ष लालटू महतो ने बताया कि, उस वक्त कई भक्तों ने अपने शरीर को भी नुकीले कील से छिदवाए और भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था प्रकट की थी, जिसके बाद से ही यहां प्रतिवर्ष अच्छी बरसात होने लगी और अकाल का नामोनिशान भी मिट गया था. पूजा के सफल आयोजन में मुख्य रूप से पूर्व पार्षद राजरानी महतो, रितेन महतो, गुरजीत सिंह, मनोज मंडल समेत अन्य सक्रिय सदस्यों की भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. सदस्य रितेन महतो ने बताया कि रात में मेले में कुड़माली झूमर और पुरुलिया के युवतियों का छऊ नृत्य दल की प्रस्तुति होगी जिसका उद्घाटन मंत्री चम्पई सोरेन करेंगे.
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