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भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था प्रकट की
महामारी और अकाल दूर करने के लिए यह पूजा शुरू हुई थी. तकरीबन 205 साल पूर्व वर्ष 1818 में दिंदली गांव में भयंकर अकाल और महामारी फैली थी, बिना बारिश हर ओर सुखाड़ पड़ा था. ऐसे में लोगों ने यहां के पौराणिक शिव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की और मन्नतें मांगी थी. पूजा कमेटी के अध्यक्ष लालटू महतो ने बताया कि, उस वक्त कई भक्तों ने अपने शरीर को भी नुकीले कील से छिदवाए और भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था प्रकट की थी, जिसके बाद से ही यहां प्रतिवर्ष अच्छी बरसात होने लगी और अकाल का नामोनिशान भी मिट गया था. पूजा के सफल आयोजन में मुख्य रूप से पूर्व पार्षद राजरानी महतो, रितेन महतो, गुरजीत सिंह, मनोज मंडल समेत अन्य सक्रिय सदस्यों की भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. सदस्य रितेन महतो ने बताया कि रात में मेले में कुड़माली झूमर और पुरुलिया के युवतियों का छऊ नृत्य दल की प्रस्तुति होगी जिसका उद्घाटन मंत्री चम्पई सोरेन करेंगे. इसे भी पढ़ें :डुमरिया">https://lagatar.in/dumaria-dhatkidih-jalminar-damaged-after-a-week/">डुमरिया: सप्ताह भर बाद ही खराब हुई धतकीडीह जलमीनार [wpse_comments_template]