Adityapur (Sanjeev Mehta) : झारखंड की औद्योगिक नीति अच्छी है किंतु आधारभूत संरचना के मामले में हम पिछड़े हुए हैं जो कि यहां की औद्योगिक विकास में बाधक बन रही है. उक्त बातें आरएसबी ग्रुप ऑफ कंपनी के वाइस चेयरमैन एसके बेहरा ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता में कही. उन्होंने राज्य के औद्योगिक विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि झारखंड में सबसे बड़ी समस्या यहां की विवादित जमीन, स्थानीय लोगों का प्रॉब्लम, जर्जर सड़क, पानी बिजली की समस्या और एयर कनेक्टिविटी का घोर अभाव है. जबकि यही सारी चीजें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और दूसरे राज्यों में बेहतर है. इनके अभाव के बीच बावजूद इलेक्टिक व्हीकल्स के क्षेत्र में आरएसबी ग्रुप अगले दो वर्षों में अलग पहचान बनाएगी. उन्होंने बताया कि आरएसबी ग्रुप महाराष्ट्र के पुणे और धारवाड़ के साथ आंध्र प्रदेश के श्रीसीटी में औद्योगिक विस्तार का काम कर रही है.
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिला आश्वासन
उन्होंने बताया कि अभी इलेक्ट्रिक व्हीकल और इलेक्ट्रिक लाइट कार की जिस तरह से डिमांड बढ़ रही है उसे देखते हुए आरएसबी ग्रुप अभी से तैयारी शुरू कर दी है. इंडोनेशिया की कंपनी के साथ वे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. आरएसबी ग्रुप इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मोटर, कंट्रोलर, एक्सेल और गियर बॉक्स का निर्माण कर रही है. इसके लिए टाटा मोटर्स और अशोक लीलैंड के साथ दो और व्हीकल्स कंपनी के साथ एमओयू किया गया है. राज्य में औद्योगिक विकास के लिए आधारभूत संरचना को लेकर पिछले दिनों राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से वे मिल चुके हैं. उन्होंने भरोसा दिलाया है कि शीघ्र औद्योगिक क्षेत्र की सड़कें बेहतर और चौड़ी होगी और दूसरी समस्याओं को भी दूर कर लिया जाएगा. सीएम ने आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में ट्रक पार्क को लेकर भी आश्वस्त किया हैं. एसके बेहरा ने बताया कि राज्य में पिछली सरकार द्वारा मोमेंटम झारखंड के तहत किये गए औद्योगिक विकास का प्रयास भी इन्हीं आधारभूत संरचना के वजह से असफल रहा.
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आरएसबी बनाएगी सुपर हॉस्पिटैलिटी अस्पताल
आरएसबी ग्रुप ऑफ कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में खासकर कोरोना काल में जिसकी सबसे ज्यादा कमी महसूस की वह था सुपर हॉस्पिटैलिटी अस्पताल की. जिसकी जरूरत महसूस करते हुए ग्रुप ने ईएमसी सेक्टर में एक नौ मंजिला अस्पताल का निर्माण शुरू किया है जो दो वर्ष में प्रथम चरण में 500 बेड के अस्पताल के साथ अस्तित्व में आएगा. बाकी का 500 बेड अगले दो वर्षों में दूसरे चरण में धरातल पर उतरेगा.