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Adityapur (Sanjeev Mehta) : सरायकेला-खरसावां जिले के आदिवासियों और पिछड़ों की जमीन की लूट रोकने के लिए आरटीआई कार्यकर्ता प्रो. सुरेंद्र कुमार महतो ने राज्य के मुख्य मंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखा है, पत्र में बताया है कि किस तरह इनकी जमीन लूटी जा रही है. पत्र में एक मामले का जिक्र करते हुए कहा है कि दिनांक 26.8.23 और 5.9.23 को सीएनटी एक्ट 1908 की धारा 46(a) एवं 46(b) के आलोक में जिला प्रशासन सरायकेला खरसावां द्वारा समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार के आधार पर कुछ आदिवासियों एवं पिछड़े वर्ग की भूमि को दूसरे जिला व दूसरे थाना के व्यक्तियों/उद्यमियों के हाथों बिक्री का विरोध कर आपत्ति दर्ज किया जा चुका है. फिर भी प्रशासन ने इन शिकायतों पर अब तक शायद कोई ध्यान नहीं दिया है. इस तरह के मामले की पुनरावृति जिला प्रशासन द्वारा लगातार हो रही है. पुनः दिनांक 12.9.2023 के विभिन्न समाचार पत्रों में जिला प्रशासन सरायकेला खरसावां ने पिछड़े एवं आदिवासियों की भूमि दूसरे थाना के उद्योगपतियों के हाथों बिक्री करवाने हेतु नोटिस प्रकाशित करवाया है. जिसका पुनः विरोध प्रकट करता हूं और अनुरोध करना चाहता हूं कि कृपया पिछड़े एवं आदिवासियों की भूमि को सीएनटी एक्ट 1908 की धारा 46(a) एवम 46(b) के विपरित दूसरे थाना के व्यक्तियों/उद्यमियों के हाथों बिक्री होने से बचाया जाए.
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जिला प्रशासन प्रोत्साहित कर रही है
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बता दें कि अभी राज्य में तरह-तरह के भूमि घोटाले, खनन घोटाले, बालू खनन घोटाले का मामला चरम सीमा पर और ज्वलंत है. फिर भी सरायकेला खरसावां जिले में उद्योग धंधे स्थापित करने एवं खनन के नाम पर पिछड़े व आदिवासियों की भूमि को लीज देने की प्रक्रिया लगातार जारी है. इसमें दूसरे जिला/ दूसरे पुलिस थाना के उद्योगपतियों/अमीर एवं धनी व्यक्तियों द्वारा पैसे का लालच देकर झारखंड के सिर्फ पिछड़े एवं आदिवासियों की जमीन हड़पने, लूटने की प्रक्रिया धड़ल्ले से जारी है. क्यों नहीं अगड़े वर्गों की भूमि पर इनकी पैनी निगाह रहती है ? जिला प्रशासन को ऐसे मामले को प्रोत्साहित ना कर हतोत्साहित करना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. ऐसे व्यक्ति/उद्योग लगानेवाले दूसरे थाने के व्यक्ति/उद्योगपति इन आदिवासियों व पिछड़े वर्गों द्वारा धारित भूमि क्रय कर भूमि के नेचर को बदलकर कर इसका पूर्णतः दुरूपयोग कर सकते हैं.
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मुंह बंद कराने का प्रयास किया जा रहा है
प्रो. महतो ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से अनुरोध किया है कि आदिवासियों एवं पिछड़े के भूखंडो को सीएनटी एक्ट 1908 की धारा 46(a) एवं 46(b) के आलोक में दूसरे थाना के व्यक्तियों/उद्योगपतियों के हाथों बिक्री होने से शीघ्र रोकें. अन्यथा झारखंड के मूल पिछड़े एवं आदिवासियों का अस्तित्व लुप्त होता चला जाएगा. उन्होंने यह भी कहा है कि उनके विरोध और आपत्ति दर्ज कराने पर उनसे कई लोगों ने संपर्क कर उनका मुंह बंद कराने का प्रयास भी किया है. जिससे उन्हें आशंका है कि वे लोग मुझे नुकसान भी पहुंचा सकते हैं.
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