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Adityapur (Sanjeev Mehta) : शनिवार को बिष्टुपुर स्थित एक होटल में झारखंड सिने संवाद का आयोजन स्थानीय फिल्मकारों के द्वारा किया गया. इसमें झारखंड के मशहूर फिल्म मेकर राजीव सिन्हा मौजूद थे. यहां उन्होंने फिल्म निर्माण से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की. कहा कि वीडियो मेकिंग के अंतर्गत कई कार्य शामिल हैं, जिनमें डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म, फीचर फिल्म आदि पर लोग सक्रिय हैं. उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने नासूर जैसी फिल्म बनाई, जिसे फिल्म प्रेमियों का बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला. उन्होंने बताया कि फिल्म बनाना कठिन नहीं, बल्कि उसे चलाना कठिन है. लागत को वापस लाना कठिन है. इसके लिए बहुत ही लगन, समझदारी और शिद्दत से काम करने की जरूरत है. कुदरत ने खुला आसमान दिया है, उड़ना चाहते तो सभी हैं, लेकिन उड़ान विरले ही भर पाते हैं. कहानी ही फिल्म की रीढ़ होती है. उसके बाद हर चीज अच्छी होनी चाहिए. जैसे गाने व फिल्में हमें दर्शकों की अभिरुचि को ध्यान में रखकर बनानी चाहिए. जिस वर्ग के लिए फिल्म बना रहे हैं, उनके बारे में अच्छी तरह रिसर्च कर लेनी चाहिए.
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बजट का कोई दायरा नहीं
राजीव सिन्हा ने कहा कि बजट को लेकर किसी दायरे में नहीं बांधा जा सकता, लेकिन फिल्म से लागत वापस आएगा, इसके बारे में पहले ही प्लानिंग कर लेनी चाहिए. कम से कम दो भाषाओं में फिल्में बनानी चाहिए. उन्होंने अंत में कहा कि कहीं ऐसा न हो जाए, कि कल कॉर्पोरेट की घुसपैठ हो जाए और फिर हमारी अपनी स्वच्छंदता पर अंकुश लग जाए, अपनी पहचान खो जाए. मौके पर कई वरिष्ठ फिल्मकारों को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया. जिनमें दशरथ हांसदा, शत्रुघ्न, मान सिंह माझी, सुखदेव महतो, शालिनी प्रसाद आदि शामिल थे. इस सिने संवाद में मुख्य रूप जम्पा के अध्यक्ष एनके सिंह, उदय साहू, उपाध्यक्ष सुखदेव महतो, सचिव कुमार विवेक, विकाश (फिल्म मेकर), शालिनी प्रसाद, मासकॉम विभाग वूमेंस कॉलेज, शत्रुघ्न, आसमां इंडिया के संजय सतपथी, फिल्म लेखक शशांक शेखर, मानसिंह माझी, दशरथ हांसदा, उदय, रानी मार्डी आदि मौजूद थे.
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