Ranchi: आम लोगों के लिए न्यायालय में उनकी न्याय की लड़ाई लड़ने वाले वकीलों को ही अब धरने पर बैठना पड़ रहा है. रांची जिला बार एसोसिएशन की पूर्व कमेटी के महासचिव कुंदन प्रकाशन द्वारा वित्तीय घोटाले से संबंधित एफआईआर दर्ज कराए जाने के बाद सिविल कोर्ट के वकीलों का गुस्सा फूट पड़ा है. हाथों में तख्ती लेकर रांची सिविल कोर्ट के कई अधिवक्ताओं ने पूरे वित्तीय घोटाले कि जांच की मांग को लेकर काफी देर तक धरना दिया. जिसका समर्थन झारखंड स्टेट बार काउंसिल के सदस्य रांची जिला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय विद्रोही ने भी किया है. इस मौके पर रांची जिला बार एसोसिएशन के नवनिर्वाचित महासचिव संजय विद्रोही ने कहा कि निवर्तमान महासचिव कुंदन प्रकाशन का अब तक का कार्यकाल सवालों के घेरे में है. पारदर्शिता की कमी के कारण यह घोटाले हुए हैं जिनकी जांच जरूरी है. धरने पर बैठे अधिवक्ता प्रीतांशु सिंह के मुताबिक जान बूझकर निवर्तमान कमेटी के पदाधिकारियों ने एफआईआर में देरी की ताकि घोटाले के सबूत खत्म किए जा सके. बता दें कि बीते 5 अक्टूबर को आरडीबीए के निवर्तमान महासचिव कुंदन प्रकाश ने रांची के कोतवाली थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कराई है. प्राथमिकी में उन्होंने रांची जिला बार एसोसिएशन के फंड से लगभग 19 लाख रुपये से ज्यादा की वित्तीय अनियमितता की जानकारी दी है. उनके एफआईआर दर्ज कराए जाने के बाद से ही वह रांची सिविल कोर्ट के वकीलों के निशाने पर हैं. कई अधिवक्ता तो यहां तक कह रहे हैं कि चुनाव के कारण उन्होंने एफआईआर में देर की. इतना ही नहीं अधिवक्ता यह भी सवाल उठा रहे हैं कि जब कोरोना काल में रांची सिविल कोर्ट के कई अधिवक्ताओं की मृत्यु हुई और कई अधिवक्ताओं ने एसोसिएशन से वित्तीय सहायता मांगी तो रांची जिला बार एसोसिएशन ने अपने हाथ खड़े कर दिए. ऐसे में इस तरह के घोटाले की जानकारी चुनाव के ठीक बाद मिलना कई सवालों को जन्म देती है. इसे भी पढ़ें-बंगाल">https://lagatar.in/there-is-a-stir-in-the-bay-of-bengal-the-threat-of-cyclonic-storm-jawad-increased-the-impact-on-jharkhand-is-also-possible/">बंगाल
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