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LagatarDesk : सरकारी एलरलाइंस कंपनी एयर इंडिया को खरीदार मिल गया. टाटा संस ने बोली जीत ली है. एयर इंडिया की ब्रिकी प्रक्रिया में टाटा ने सबसे अधिक कीमत लगाई थी. जिसके बाद अब एयर इंडिया की कमान टाटा ग्रुप के पास आ गयी. यानी अब एयर इंडिया का नियंत्रण टाटा कंपनी में होगी. आपको बता दें कि एयर इंडिया के लिए कई कंपनियों ने बोली लगाई थी. टाटा ग्रुप के अलावा स्पाइसजेट के अजय सिंह ने भी एयरलाइंस कंपनी को खरीदने के लिए आखिरी बोली लगाई थी.
दिसंबर तक टाटा को मिलेगा मालिकाना हक
सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने अभी तक इसकी ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं हुई है. सूत्रों के अनुसार, दिसंबर 2021 तक एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया पूरी हो जायेगी. यानी दिसंबर तक टाटा संस को एयर इंडिया का मालिकाना हक मिल जायेगा.
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68 साल के बाद टाटा की एयर इंडिया में वापसी
आपको बता दें कि टाटा ग्रुप ने अक्टूबर 1932 में एयर इंडिया की स्थापना की थी. उस समय उसका नाम टाटा एयरलाइंस था. टाटा समूह के जेआरडी टाटा इसके फाउंडर थे. वे खुद पायलट थे. दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसका राष्ट्रीयकरण किया गया. आजादी के बाद सरकार ने इसमें 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली. जिसके बाद इसका नाम एयर इंडिया हो गया. 68 साल बाद फिर से एयर इंडिया टाटा ग्रुप के पास आ गयी.
टाटा संस को उठाना होगा कर्ज का बोझ
2007 में इंडियन एयरलाइंस में विलय के बाद से एयर इंडिया को कभी प्रॉफिट नहीं हुआ. 31 मार्च 2019 तक कंपनी पर कुल 60,074 करोड़ का कर्ज था. वित्त वर्ष 2019-20 के प्रोविजनल आंकड़ों के मुताबिक, एयर इंडिया पर कुल 38,366.39 करोड़ रुपये का कर्ज है.
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दूसरी बार एयर इंडिया में हिस्सेदारी बेचने की कोशिश हुई सफल
सरकार ने दूसरी बार एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की. जो सफल भी हो गयी. इससे पहले केंद्र सरकार ने 2018 में कंपनी में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी. लेकिन इसका कोई खासा रिजल्ट देखने को नहीं मिला था. सरकार ने फाइनेंशियल बिड्स मंगवाई थी. केंद्र सरकार की स्वामित्व वाली कंपनी एयर इंडिया ने अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी. इसमें एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 फीसदी हिस्सेदारी शामिल हैं.
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