Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने 25 वर्ष की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद CRPF के डिप्टी कमांडेंट की पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार और सीआरपीएफ अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई.
केंद्र सरकार पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए शहीद अधिकारी की पत्नी बिंदेश्वरी मिश्रा को लिबरलाइज्ड पेंशनरी अवार्ड (एलपीए) योजना का लाभ देने का आदेश बरकरार रखा है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में बिंदेश्वरी मिश्रा की अपील पर सुनवाई हुई.
सीआरपीएफ के डिप्टी एसपी (कंपनी कमांडर) कैप्टन रवींद्र नाथ मिश्रा की 4 मार्च 1995 को असम के अमगुड़ी में ड्यूटी के दौरान अपने ही कैंप के एक कांस्टेबल ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद उनकी पत्नी को 1996 में मात्र ₹470 मासिक पारिवारिक पेंशन दी गई.
बिंदेश्वरी मिश्रा ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि उनके पति की शहादत ड्यूटी के दौरान हुई थी, इसलिए उन्हें एलपीए योजना का लाभ मिलना चाहिए. जब अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो उन्होंने 1999 में पटना हाईकोर्ट (रांची बेंच) में याचिका दायर की.
अदालत ने 2000 में सीआरपीएफ डीजी को मामला निपटाने का आदेश दिया, पर आदेश पर अमल नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने 25 साल तक लगातार न्याय के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी.
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