alt="" width="300" height="174" /> 1996 में झींकपानी में बारंग क्षिति लिपि अनुसंधान केंद्र का शिलान्यास करते अमित खरे व अन्य.[/caption] Chaibasa / Jhikpani : 1985 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी अमित खरे को मानव संसाधन विकास और सूचना प्रसारण मंत्रालयों में सचिव से सेवानिवृत्त होने के पश्चात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सलाहकार नियुक्त किया गया है. उनका जुड़ाव झारखंड में चाईबासा जिले से सबसे अधिक है लेकिन सिर्फ पशु पालन विभाग के चारा घोटाले के खुलासे के कारण ही नहीं बल्कि उन्होंने कई ऐसे ऐतिहासिक काम किये जिन्हें यहां का हो समुदाय आज भी याद करता है. अमित खरे ने हो भाषा बारंग क्षिति के विकास के लिये बहुत काम किये. 1997 के दौर में हो भाषा का लिपि बारंग क्षिति पर जोरदार प्रसार-प्रसार चल रहा था, जो अब तक जारी है. अमित खरे ने हो भाषा का ज्ञान अर्जित करने के लिये यहां के हो भाषा के विद्वान व लेखकों से संपर्क किया. हो भाषा का ज्ञान चाईबासा में उपायुक्त रहते हुए ही अमित खरे ने सीख लिया. [caption id="attachment_170605" align="aligncenter" width="300"]
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बारंग क्षिति लिपि अनुसंधान केंद्र बनने के बाद 1997 में उदघाटन मौके पर अमित खरे भी मौजूद रहे.[/caption]
2004 से बंद पड़ गया है झींकपानी का बारंग क्षिति लिपि अनुसंधान केंद्र
1997 में हो भाषा के विद्वान सह लेखक चरण हांसदा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने बारंग क्षिति भाषा प्रशिक्षण केंद्र खोलने को लेकर एक मांग पत्र सौंपा गया था. जिसकी स्वीकृति करते हुए इस क्षेत्र में बारंग क्षिति लिपि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से टोंटो प्रखंड के बड़ा झींकपानी के रामसाई में एक बारंग क्षिति लिपि अनुसंधान केंद्र बनवाया, जो आज भी है. लेकिन सरकार के उदासीन रवैये की वजह से वर्ष 2004 से बंद पड़ी हुई है. इसे आरंभ करने को लेकर कई प्रयास किये गए, लेकिन असफल हो गये. एक समय यहां दूर-दराज के हो समुदाय के लोगा बारंग क्षिति लिपि सीखने के लिये पहुंचते थे. हो भाषा के लेखक डोबरो बुड़ीउली ने कहा कि अमित खरे के कार्यकाल में हो समुदाय के लोगों को काफी लाभ पहुंचा है. वे यहां के स्थानीय लोगों से मिलकर रहते थे. हर मागे पर्व अथवा हो समुदाय का कोई भी पर्व हो, उनका समाज के लोगों के घर जाना अनिवार्य होता था. उन्होंने चारा घोटालों का उजागार कर बड़ा काम किया है. लेकिन हमारे समुदाय की भाषा को बढ़ावा देने का भी काम किया है जिसे कभी बुलाया नहीं जा सकता है. आज बडा झींकपानी के बारंग क्षिति लिपि प्रशिक्षण केंद्र बंद हो चुका है, सरकार से मांग है कि इसे शुरू कराया जाये. ताकि हो समुदाय के लोगों को लाभ मिल सके. [caption id="attachment_170607" align="aligncenter" width="233"]alt="" width="233" height="300" /> डोबरो बुड़ीउली.[/caption]
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