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सीज फायर के बाद ठंडे मन से सोचिए- Real चाहिए या Reel

Vinay Bharat चलिए सीज फायर हो गया. अब सिंदूर का बदला हमने ले लिया. पक्ष-विपक्ष सब साथ खड़े रहे.  अब ठंड मन से सोचिए. अगर आपका एक पड़ोसी से दुश्मनी हो तो समझ में आता है. आपके सारे पड़ोसी जो कभी आपके दोस्त थे, भी आज आपके दुश्मन बन जाएं तो आप समस्या पड़ोसियों में खोजेंगे या खुद में?  मौजूदा प्रकरण ने आंखें खोल दी हैं. हम जो कहते हैं- हम विश्व मैत्री पर भरोसा करते हैं, पर पड़ोसी पाकिस्तान कट्टर दुश्मन है. खैर, यहां तो कारण दिखता है. चीन भी दोस्त नहीं है. दुश्मन है.  बांग्लादेश भी दोस्त नहीं है. घुसपैठिये हैं वे हमारे लिए. अडानी ने रहा-सहा खेल बिगाड़ दिया है. नेपाल एक दोस्त था, वो भी अब वैसा नहीं है हमारे साथ. 2020 से नया मानचित्र बनाया है, जिसमें भारत के कई गांव शामिल हैं.  नीचे श्रीलंका के साथ भी संशय की स्थिति बनी रही है.  मालद्वीव ने तो INDIA OUT (इंडिया आउट) अभियान चला रखा है. मतलब, भारत से सब असंतुष्ट हैं. सारे पड़ोसी !  अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप हमारे पीएम मोदी जी के कट्टर दोस्त हैं. वे भी पाकिस्तान को मदद कर दिए ! तो आखिर ऐसा क्या हुआ हाल के दिनों में कि हमसे कोई भी पड़ोसी देश, और परम मित्र देश अमेरिका खुश नहीं है. ऐसा क्यों लगने लगा है कि सभी देशों का एक कॉमन (Commom) शत्रु है-भारत ! मित्र होते-होते हम किसी को भी खुश नहीं रख पा रहे. और देश के अंदर भी हम अपनों के बीच दिन-रात, एक-दूसरे के लिए आग ही आग उगल रहे हैं. मैं जियोपोलिटक्स (Geopolitics) का छात्र नहीं रहा. पर आंख खुला रहने से ऐसा साफ-साफ व स्पष्ट (transparent) दिख रहा है. ऐसी स्थिति में अब आत्मनिरीक्षण introspection करिये.  हमारी सेना के बारे में हमारे अभी और पूर्व के सेनाधिकारी क्या बोल रहे हैं लगातार. उनको सुनिए. भारत में बहुत संभवनाएं हैं. इसमें शक नहीं. लेकिन वास्तविक अनुसंधान एवं विकास (real Research & Development) को छोड़कर रील विकास (Reel development) वाला देश बनाएंगे तो भविष्य में हम सभी के बच्चों को दिक्क़त होगी. डिस्क्लेमरः लेखक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं और यह टिप्पणी उनके सोशल मीडिया एकाउंट से लिया गया है. 
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