Ranchi : धनबाद के कुख्यात गैंगस्टर अमन सिंह की तीन दिसंबर 2023 को जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. उस पर सात गोलियां दागी गयी थी. उसकी हत्या की जिम्मेदारी उसके पुराने गुर्गे धनबाद के हीरापुर जेसी मल्लिक रोड के रहने वाले आशीष रंजन उर्फ छोटू ने ली थी. जो किसी जमाने में अमन को अपना बड़ा भाई मानता था. अमन सिंह की हत्या कराने के बाद आशीष रंजन खुद अमन सिंह गिरोह का सुप्रीमो बन गया है. झारखंड पुलिस आशीष रंजन की तलाश में जुटी है. लेकिन वो कहां है, इसकी जानकारी जुटाने में झारखंड पुलिस सफल नहीं हो पायी है. पिछले डेढ़ साल के दौरान झारखंड पुलिस ने अमन सिंह गैंग के 13 अपराधियों को गिरफ्तार भी किया है. लेकिन फिर भी आशीष रंजन का पता नहीं चल पाया.
लाला हत्याकांड के बाद से फरार है आशीष
आशीष का नाम पहली बार वीर कुंवर सिंह कॉलोनी के जमीन कारोबारी समीर मंडल हत्याकांड में सामने आया था. इसमें आशीष के साथ पार्टनर सतीश साव उर्फ गांधी भी था. जो इन दिनों धनबाद जेल में बंद है. इस हत्या के बाद आशीष की गिरफ्तारी हुई थी. हालांकि वह बेल पर बाहर आ गया था. इसके बाद 12 मई 2021 को वासेपुर के जमीन कारोबारी लाला खान की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. इसमें अमन सिंह के साथ आशीष रंजन और वासेपुर के मिस्टर खान का नाम आया था. पुलिस इस कांड में आशीष रंजन उर्फ छोटू की तलाश कर ही रही थी कि इस बीच कतरास निवासी पुलिस मुखबिर नीरज तिवारी की हत्या गोली मारकर दी गयी. इस कांड में रौनक व रोहित गुप्ता के अलावा आशीष रंजन का भी नाम आया था. तब से वह फरार है.
अमन के हर कांड में आता था छोटू का नाम
डॉ. समीर कुमार से रंगदारी, किया शोरूम में बमबाजी सहित अमन के इशारे में सभी अपराध का जब भी इंटरनेट मीडिया पर कबूलनामा आता, तो उसमें आशीष रंजन उर्फ छोटू का नाम आता था. हालांकि इस मामले में पुलिस ने कई बार खुलासा किया कि छोटू का नाम सिर्फ अपराध करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन वह किसी अपराध में रहता नहीं था. इसके बावजूद आशीष रंजन को पुलिस गिरफ्तार करने में असफल रही है.
अमन को आशीष कभी मानता था बड़ा भाई
अमन सिंह की हत्या के बाद आशीष ने हत्या की जिम्मेवारी ली थी. उसने कहा था कि वह उसे बड़ा भाई मानता था. मगर कुछ पैसे के लिए उसने उसकी हत्या करने की ठानी थी. इसलिए उसे मरवा दिया. उसने बताया था कि जेल में उसने ही हथियार पहुंचाया. जिस आदमी ने अमन की हत्या की, वह उसका ही नाम लेगा. आशीष ने कहा था कि उसे धनबाद के व्यपारियों से कोई मतलब नहीं है, मगर कोयले के व्यापार में वह रहेगा.