- – प्रशिक्षित युवाओं को जॉब कंसलटेंसी की फर्जी कंपनी खाेल कर दे दिया जाता है और शुरू हो जाता है ठगी का खेल
- – शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में ओडिशा, बिहार, बंगाल और केरल से हजारों की संख्या में युवा ले रहे साइबर ठगी का प्रशिक्षण
- – मार्केटिंग में ट्रेनिंग कह कर युवाओं को लाया जाता है
- – आर्थिक रूप से कमजोर युवा होते हैं सॉफ्ट टारगेट
- – ग्रामीण क्षेत्रों में किराए के मकानों में चलते हैं सेंटर
साइबर अपराधियों के हब के रूप में विख्यात झारखंड के जामताड़ा जिले के बाद अब हजारीबाग जिला भी साइबर अपराधियों का अड्डा बनता जा रहा है. यहां भी जामताड़ा की तर्ज पर साइबर क्राइम ट्रेनिंग सेंटर चलाए जा रहे हैं. बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा व केरल के अलावा देश के अन्य कई राज्यों से हजारों की संख्या में युवा हजारीबाग शहर के कोर्रा, बानादाग, रसूलीगंज, सिरसी, नृसिंह स्थान रोड, पंडित जी रोड सहित अन्य क्षेत्रों में किराए के मकान में रहकर साइबर ठगी की बारीकियों सीख रहे हैं. प्रशिक्षण पाने वाले युवाओं में 18 से 25 वर्ष के युवा शामिल हैं.
Hazaribagh : हजारीबाग के विभिन्न इलाकों में साइबर अपराध के ट्रेनिंग सेंटर चल रहे हैं. इन ट्रेनिंग सेंटरों को चलाने वाले लोग अलग-अलग राज्यों में जाकर युवाओं को मार्केटिंग क्षेत्र में नौकरी दिलाने का झासा देकर यहां लाते हैं. इसके एवज में इनसे मोटी रकम भी वसूली जाती है. इनका टारगेट वैसे युवा होते हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और नौकरी की तालाश में रहते हैं. इन युवाओं को बाद में जब मार्केंटिंग की जगह साइबर अपराध की ट्रेनिंग का पता चलता है, तो अधिकांश गरीब होने के कारण पैसे की मजबूरी में साइबर ठगी के इस गोरखधंधे में सक्रिय हो जाते हैं. इस गिरोह को चलानेवाले लोग ट्रेनिंग सेंटर चलाने के लिए शहर से सटे ग्रामीण इलाकों जगहों को चिह्नित करते हैं. हाल के दिनों में साइबर अपराध को लेकर जिले का बरकट्ठा क्षेत्र काफी सुर्खियों में रहा है. इन क्षेत्रों में मोटी रकम देकर किराये पर मकान लिया जाता है. फिर यहां युवाओं को साइबर अपराध का प्रशिक्षण देने का काम शुरू हो जाता है.
नौकरी दिलाने के नाम पर चलता है ठगी का खेल
इन ट्रेनिंग सेंटरों से प्रशिक्षण ले चुके युवाओं को शहर के चौक-चौराहों पर नये संस्थान का नाम पर कार्यालय खोल कर दे दिया जाता है. इसके बाद देश से लेकर विदेश तक नौकरी दिलाने, वीजा व पासपोर्ट बनाने के नाम पर ठगी का खेल शुरू हाेता है. जरूरतमंद युवाओं के कागजात रख कर जैसी नौकरी, वैसी कीमत वसूली जाती है. ये रकम 20,000 से लेकर 2,00,000 रुपये तक होती है. अगर कोई विश्वास न करे, तो उसे चेक देकर भरोसा दिया जाता है कि उनका काम पक्का है. फिर महीने भर के अंदर अचानक कार्यालय में ताला लटका मिलता है. वहीं, भुक्तभोगी जब बैंक में चेक जमा करते हैं, तो पता चलता है कि चेक फर्जी है. अंत में पीड़ित थाने पहुंच कर ठगी की शिकायत करते हैं.
पीड़ित संबंधित थाने में आवेदन दें, पुलिस करेगी कार्रवाई : एसपी
हजारीबाग एसपी अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि इस तरह की शिकायतें मिली हैं. कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. लोग इस तरह के लोगों पर विश्वास करने से पहले पूरी तरह जांच कर लें. ठगी के शिकार होने पर पीड़ित संबंधित थाने में आवेदन दें, पुलिस कार्रवाई करेगी.
केस नंबर-01
बड़ा बाजार थाना क्षेत्र के हुरहुरू स्थित जेके एंटरप्राइजेज के खिलाफ शुक्रवार को दर्जनों महिलाओं ने थाना में आवेदन दिया है. महिलाओं का कहना है कि कथित कंपनी ने लगभग 100 महिलाओं से नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की है. करीब पांच करोड़ रुपये की ठगी कर कंपनीवाले फरार हो गये.
केस नंबर-02
कुछ माह पहले रवि कुमार राम डब्लूडब्लूपी कोचिंग संस्थान चलाते थे. इसमें कोचिंग नि:शुल्क था. इसके बाद संचालक ने सभी छात्रों को विश्वास में लेकर उन्हें बैंक, शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग में नौकरी दिलवाने के नाम पर लाखों रुपये लिये. बाद में अचानक से कोचिंग संस्थान बंद हो गया.
केस संख्या-03
कटकमसांडी प्रखंड के पबरा निवासी आनंद मेहता की पत्नी को होमगार्ड में कंप्यूटर ऑपरेटर पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर ढाई लाख रुपये मांगे जा रहे थे. महिला पैसे के इंतजाम में जुटी थी. इसी बीच महिला के पति होमगार्ड कार्यालय में जानकारी लेने पहुंचे, तोहां पता चला कि यहां कोई बहाली ही नहीं है.
केस संख्या-4
चार दिन पहले पबरा पंचायत की 100 महिलाओं का एक महिला खाता खुलवा रही थी. उनसे कहा गया था कि खाता खुलने के बाद एटीएम, आधार व सिम कार्ड देना होगा. इसके एवज में केंद्र सरकार प्रत्येक महीना 2000 रुपये खाते में देगी. जब महिलाएं बैंक गयीं, तो पता चला कि ऐसा कोई योजना ही नहीं है.
