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टाटा सब-लीज मामले में LPA खारिज होने पर झारखंड सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

Ranchi: टाटा सब-लीज मामले में LPA खारिज होने के बाद झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सरकार की ओर से दायर याचिका पर संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया चुका है. शीघ्र ही इस मामले की सुनवाई होने की उम्मीद है. मामला Ashiana Housing Limited और Praikh Inn Pvt. Ltd से संबंधित है.

 


TATA STEEL LTD ने राज्य सरकार की सहमति के बाद इन दोनों कंपनियों को जमीन लीज पर देने का एग्रीमेंट किया था. इसके बाद Jamshedpur Notified Area Committee(JNAC) ने सब-लीज की जमीन पर निर्माण कार्य की अनुमति दी. इस बीच उपायुक्त ने एक आदेश जारी कर यथा स्थिति बहाल करने का निर्देश दिया. साथ ही रजिस्टर्ड सब-लीज की कार्रवाई रोक दी गयी. 

 


इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने इस बिंदु पर विचार किया कि क्या सरकार अपनी सहमति के बाद किये गये सब-लीज अग्रीमेंट को रद्द कर सकती है. भले ही सरकार ने सब-लीज पर विचार करने के लिए बनायी गयी, अपनी कमेटी को बाद में नियम सम्मत नहीं माना. 

 


न्यायाधीश गौतम कुमार चौधरी ने भी पक्षों की दलील सुनने के बाद सरकार के दावों को अस्वीकार करते हुए Ashiana Housing और Parikh Inn के पक्ष में फैसला दिया. न्यायालय ने 29 सितंबर 2023 को दिये गये अपने फैसले में TATA STEEL को याचिकादाताओं के पक्ष के साथ रजिस्टर्ड सब-लीज करने का आदेश दिया. साथ ही JNAC को नियमानुसार रिवाइज्ड बिल्डिंग प्लान की स्वीकृति का आदेश दिया. 

 


राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ निर्धारित समय सीमा के बाद LPA दायर किया. LPA दायर करने का कारण बताया. इसमें महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा सिंगल बेंच के फैसले के एक महीने बाद भू-राजस्व विभाग को इसकी सूचना देने के अलावा 2024 विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता पुनरीक्षण में उपायुक्त को व्यस्त रहना बताया गया. 

 


हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्रन और न्यायाधीश दीपक रौशन की अदालत ने राज्य सरकार द्वारा LPA दायर करने में हुई देर के लिए दी गयी दलील को अमान्य कर दिया. साथ ही इस टिप्पणी के साथ LPA को खारिज कर दिया कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण में व्यस्त रहने का अर्थ यह नहीं होता है, वह बाकी महत्व के सभी काम छोड़ दें.

 


सरकार द्वारा LPA दायर करने में हुई देर की बतायी गयी वजह 


सरकार की ओर से दोबारा दायर किये गये शपथ पत्र में कहा गया कि 29-9-2023 को सिंगल बेंच का फैसला आया. 


महाधिवक्ता कार्यालय ने 9-11-2023 को भू-राजस्व विभाग को इसकी सूचना दी.


उपायुक्त ने संबंधित फ़ाइल 23-11-2023 को भू-राजस्व सचिव के पास भेजी


अपील का ग्राउंड तैयार होने के बाद प्रशाखा पदाधिकारी ने 3-1-2024 को संबंधित फ़ाइल अवर सचिव के पास भेजी


अवर सचिव ने इसे 10-1-2024 को इस मामले में विधि विभाग विभाग की राय लेने के लिए भू-राजस्व सचिव को फ़ाइल भेजी. भू-राजस्व सचिव ने इसी दिन फ़ाइल विधि विभाग को भेज दी.


विधि विभाग ने 12-1-2024 को महाधिवक्ता के पास फ़ाइल भेजी.


 16-1-2024 को पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त को प्राथमिकता के आधार पर LPA दायर करने का निर्देश दिया गया.


उपायुक्त के 16-3-2024 से जून 2024 तक मतदाता पुनरीक्षण कार्य में व्यस्त होने की वजह से अपील दायर नहीं किया जा सका.

 


हाईकोर्ट में सरकार द्वारा दी गयी दलील


सरकार की ओर से कहा गया कि मौजूदा मामला TATA 59 सब-लीज से जुड़ा है. मामले की जांच के लिए तीन अलग-अलग कमेटियां बनायी गयी थी. तीनों कमेटियों ने अलग-अलग जांच रिपोर्ट सौंपी है. कमेटी की रिपोर्ट राज्य सरकार के पास विचाराधीन है.

 


सरकार की ओर से दायर शपथ पत्र में कहा गया TATA Lease agreement की धारा आठ (Clause-8) के तहत बनायी गयी समिति नियम सम्मत नहीं था. इसलिए पहले दी गयी मंजूरी को रद्द कर दिया जाना चाहिए. अगर लीज लेने वाले की तरफ से निवेश का कोई दावा किया जाता है तो जमीन की बंदोबस्ती खुली डाक से की जानी चाहिए.


भू-राजस्व विभाग के फैसले में गलती थी. इससे राजस्व का नुकसान हुआ. जमीन की प्रस्तावित कीमत इस बात का सबूत है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से नहीं पूरी की गयी है. झारखंड एक्डिक्यूटिव मैनुअल के अनुसार, लंबे समय के लिए जमीन का लीज, सेटेलमेंट आदि पर कैबिनेट की मंजूरी जरूरी है.


बिहार भूमि सुधार अधिनियम की धारा 2(L) के अनुसार, सब-लीज और लीज एक तरह का मामला है. इसलिए सब-लीज का प्रोसेस भी लीज की तरह होना चाहिए. टाटा सब-लीज का मामला लीज डॉक्युमेंट की धारा आठ के तहत आता है. इसलिए टाटा के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव ही टाटा की ओर से भेजा जाना चाहिए.

 


टाटा स्टील लिमिटेड इस जमीन की मालिक नहीं है. जमीन का मालिकाना हक राज्य सरकार के पास है. सरकार ने टाटा स्टील के पक्ष में लीज जारी कर उसे जमीन पर कुछ अधिकार दिया है.

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