NewDelhi : किसान संगठनों के साथ केंद्र सरकार द्वारा 19 जनवरी को बात की जायेगी. उससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने साफ कर दिया है कि कृषि कानून रद्द नहीं होंगे. किसान नये कृषि कानूनों की वापसी के सिवाय क्या चाहते हैं, बतायें.
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए तोमर ने कहा कि हमने लगातार किसान यूनियन से आग्रह किया कि वे कानून के क्लॉज पर चर्चा करें और जहां आपत्ति है, वो बतायें. कहा कि कानूनों को रद्द करने के अलावा किसान क्या विकल्प चाहते हैं, सरकार के सामने रखें.
Most of the farmers & experts are in favour of farm laws. After Supreme Court’s order, the laws can’t be implemented. Now we expect that farmers discuss the laws clause-wise on Jan 19 & tell govt what they want other than the repeal of the laws: Union Agriculture Minister https://t.co/UJyXhnIkQB
— ANI (@ANI) January 17, 2021
इसे भी पढ़ें : पीएम मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लिए सीधी रेल सेवा को हरी झंडी दिखायी, नैरो-गेज ट्रेन का अनुभव सुनाया
किसान यूनियन टस से मस होने को तैयार नहीं है
कृषि मंत्री तोमर ने याद दिलाया कि भारत सरकार ने किसान यूनियन के साथ एक बार नहीं नौ बार घंटों तक वार्ता की है. कहा कि हमने लगातार किसान यूनियन से आग्रह किया कि वे कानून के क्लॉज पर चर्चा करें और जहां आपत्ति है, बताये. सरकार उस पर विचार और संशोधन करने के लिए तैयार है. श्री तोमर के अनुसार किसान यूनियन टस से मस होने को तैयार नहीं है, उनकी लगातार ये कोशिश है कि कानूनों को रद्द किया जाये.
कृषि मंत्री ने कहा कि भारत सरकार जब कोई कानून बनाती है तो वह पूरे देश के लिए होता है. इन कानूनों से देश के अधिकांश किसान, विद्वान, वैज्ञानिक, कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोग सहमत हैं.
इसे भी पढ़ें : विदेश मामलों की कमेटी में अमेरिका-चीन को लेकर राहुल गांधी ने पूछे सवाल, एस जयशंकर ने दिये जवाब
सरकार आंदोलन को तोड़ना चाह रही है
किसान संघर्ष समिति (हरियाणा) के मनदीप नथवान ने एएनआई से बातचीत में कहा कि पूरी दुनिया की नजर 26 जनवरी के कार्यक्रम पर है. कुछ लोग सरकार की शह पर इस आंदोलन को उग्र करना चाहते हैं. हमारा आंदोलन नीतियों के खिलाफ है ना कि दिल्ली के खिलाफ. प्रचार किया जा रहा है जैसे दिल्ली के साथ कोई युद्ध होने जा रहा हो. उन्होंने आरेाप लगाया कि सरकार आंदोलन को तोड़ना चाह रही है,
नथवान ने कहा, 26 जनवरी को बड़ी संख्या में किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपना हक लेने के लिए दिल्ली आ रहा है. सरकार को भ्रम है कि हम इस आंदोलन को तोड़ देंगे लेकिन हम ये आंदोलन टूटने नहीं देंगे. 18 जनवरी को हम महिला किसान दिवस के रूप में मनायेंगे.
इसे भी पढ़ें : देश में पहले दिन टारगेट से 43 फीसदी पीछे रहा वैक्सीनेशन कार्यक्रम, स्वास्थ्यकर्मियों ने कोवैक्सिन की जगह कोविशील्ड को दी प्राथमिकता
चिदंबरम ने कहा, सरकार को अपनी गलती माननी चाहिए
वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि सरकार को अपनी गलती मान लेनी चाहिए. चिदंबरम ने कहा कि उम्मीद के अनुसार वार्ता विफल रही है. इसके लिए सरकार को दोषी ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि आरटीआई प्रतिक्रियाओं से सरकार के झूठ का पर्दाफाश होने के बाद भी सरकार कानूनों को निरस्त नहीं करना चाहती है. उन्होंने कहा, सच्चाई यह है कि सरकार ने किसी से भी सलाह नहीं ली थी. विशेष रूप से, राज्य सरकारों से परामर्श नहीं किया गया था.