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वायुसेना को मिली राहत भरी खबर, अमेरिकी कंपनी देने जा रही तेजस के लिए पहला इंजन

2021 में 716 मिलियन डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट के तहत, जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी को 99 एफ-404 इंजनों की आपूर्ति करनी है NewDelhi : भारतीय वायुसेना (IAF) को तेजस इंजन मामले में राहत भरी खबर मिली है. खबर यह है कि अमेरिकी विमान इंजन निर्माता कंपनी GE (जनरल इलेक्ट्रिक) इस माह के अंत तक 99 GE-404 इंजनों में से पहला इंजन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को सौंपने की तैयारी कर रही है. जान लें कि यह डिलीवरी दो साल की देरी के बाद हो रही है.

HAL द्वारा भारतीय वायु सेना को 83 लड़ाकू विमानों(तेजस) की सप्लाई की जानी है 

इससे भारतीय वायुसेना के तेजस एमके 1ए कार्यक्रम को गति मिलेगी. इसके तहत HAL द्वारा भारतीय वायु सेना को 83 लड़ाकू विमानों(तेजस) की सप्लाई की जानी है. तेजस ने मार्च 2024 में पहली उड़ान भरी थी. हालांकि उस समय विमान में नये इंजन के बजाय रिजर्व इंजन का प्रयोग किया गया था.

2025 में 12 इंजन और उसके बाद हर साल 20 इंजनों की डिलीवरी की जायेगी

GE-404 इंजन का बात करें तो यह भारत में निर्मित तेजस मार्क 1-A लड़ाकू विमानों को शक्ति प्रदान करता है. इन विमानों की आपूर्ति में हो रही देर को लेकर वायुसेना कई बार HAL के समक्ष चिंता जाहिर कर चुकी है. सूत्रों के अनुसार, पहला इंजन वर्तमान में टेस्ट-बेड पर है. इस महीने के अंत तक इसके HAL को मिल जाने की उम्मीद है. खबर है कि 2025 में 12 इंजन और उसके बाद हर साल 20 इंजनों की डिलीवरी की जायेगी मामला यह है कि 2021 में 716 मिलियन डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट के तहत, जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी को 99 एफ-404 इंजनों की आपूर्ति करनी थी. इसकी शुरुआत मार्च 2023 से होने वाली थी. हालांकि इसमें कई कारणों से देरी हुई.

भारत में GE-414 इंजन निर्माण पर हो रहा काम

सूत्रों के अनुसार जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी और HAL मिलकर भारत में GE-414 इंजन के निर्माण पर कार्य कर रहे हैं. यह इंजन एडवांस मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) को शक्ति देगा, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) विकसित कर रहा है. इंडिया-US के बीच iCET समझौते के तहत तकनीक ट्रांसफर की योजना तैयार की गयी है.

रक्षा मंत्रालय ने रक्षा सचिव आरके सिंह की अध्यक्षता में  समिति गठित की  

एक खबर और कि HAL द्वारा 83 LCA MK-1 A लड़ाकू विमानों की सप्लाई में देर किये जाने से भारतीय वायुसेना खुश नहीं है. इसी मामले में रक्षा मंत्रालय ने रक्षा सचिव आरके सिंह की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है. यह समिति भारत के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण के लिए व्यावसायिक मॉडल पर काम करेगी. इसक उद्देश्य यह है कि भारत भविष्य में केवल HAL पर निर्भर न रहे और अन्य निर्माता भी लड़ाकू विमान निर्माण में अपना योगदान दें. इसे भी पढ़ें : आरएसएस">https://lagatar.in/rss-representative-assembly-passed-a-resolution-against-the-persecution-of-hindus-in-bangladesh/">आरएसएस

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