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सेना के साथ एयरपोर्ट की जमीन हस्तांतरण का मामला उलझा

  • तीन साल बीते, एयरपोर्ट को नहीं मिली 25 एकड़ जमीन
  • राज्य सरकार की 301 एकड़ भूमि हस्तांतरण में भी पेंच
  • 12 साल हुए, अधिग्रहित भूमि का नहीं हुआ सीमांकन
Ranchi: बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के विस्तारीकरण और आधुनिकीकरण करने के लिए जमीन हस्तांतरण का मामला उलझ गया है. सेना की जमीन से अदला-बदली का मामला वहीं पर कायम है जहां से बात शुरू हुई थी. इस पर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई है. रक्षा और उड्डयन मंत्रालयों के बीच मामला फंसा हुआ है. तीन साल बीत जाने के बाद भी कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है. हस्तांतरण की तिथि कई बार टल चुकी है.

राज्य सरकार की ओर से अबतक नहीं की गई पहल

जमीन हस्तांतरण के दो मामले लंबित हैं. इसमें एक मामला सेना को 25 एकड़ और दूसरी 301 एकड़ जमीन राज्य सरकार को हस्तांरित करनी है. पहले मामले में सेना भूमि के बदले भूमि के आधार पर जमीन हस्तांतरित करेगी. नयी जमीन मिल जाने के बाद ही सेना एयरपोर्ट अथॉरिटी को उसके सामने की जमीन सुपूर्द करेगी. मामला सेना मुख्यालय से जुड़े होने के कारण इसे रक्षा मंत्रालय के पास भेज दिया गया है. लेकिन मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है. राज्य सरकार की ओर से भी सेना को नयी भूमि देने के लिए कोई पहल नहीं की गई है.

373 एकड़ जमीन अधिग्रहित की, 301 एकड़ जमीन दी जाएगी

दूसरे मामले में राज्य सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी के बीच करार के मुताबिक 301 एकड़ भूमि सौंपनी है. एयरपोर्ट के आसपास के गांवों की 373 भूमि का अधिग्रहण 2009 में राज्य सरकार की ओर से हो चुका है. इसमें से 301 एकड़ भूमि एयरपोर्ट को दी जाएगी. हालांकि 12 साल से अधिग्रहित भूमि का सीमांकन नहीं हो सका है. सीमांकन के बाद जमीन हस्तांरित होगी. रांची एयरपोर्ट के पास अभी सिर्फ 450 एकड़ जमीन ही उपलब्ध है. इसे भी पढ़ें-साकची">https://lagatar.in/jnac-confiscated-20-bags-of-polythene-in-sakchi-market-two-detained/124832/">साकची

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रनवे विस्तार से लेकर एयरोब्रिज तक बनेंगे

दोनों जमीन के हस्तांतरण के बाद एयरपोर्ट का विस्तारीकरण होगा. इसमें रनवे के विस्तार से लेकर स्ट्रीप की चौड़ाई बढ़ाना, अतिरिक्त एयरोब्रीज बनाने के टैक्सी पार्किंग और यात्रियों की सुविधाओं के कार्य किए जाएंगे. यहां आइसोलेशन वे भी बनाए जाएंगे.

मुख्यालय ही करेगा मामले का निपटारा

मामले पर रांची एयरपोर्ट के निदेशक विनोद शर्मा ने बताया कि भूमि हस्तांतरण के मामले मुख्यालय के विचाराधीन हैं. सेना के साथ जो जमीन हस्तांतरण होनी हैं वह केंद्रीय उड्डयन और रक्षा मंत्रालय के बीच विचाराधीन है. इस जमीन के संबंध में सभी विवरण मुख्यालय को भेजे गए हैं. अब मुख्यालय ही मामले का निपटारा करेगा. दूसरे मामले में राज्य सरकार से जमीन हस्तांतरण के लिए एमओयू होना है. राज्य सरकार ने 301 एकड़ को एप्रुवल दे दिया है. अब हस्तांतरण करने के लिए कागजात तैयार किए जा रहे हैं. इसे भी पढ़ें-मनोहरपुर:">https://lagatar.in/manoharpur-son-told-after-wifes-murder-and-house-locked-up/124834/">मनोहरपुर:

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