Search

कुड़मी समाज के 'रेल टेका, डहर छेका' आंदोलन को आजसू पार्टी का पूर्ण समर्थन

Ranchi: कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की मान्यता दिलाने के उद्देश्य से 20 सितंबर से झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में शुरू हो रहे ‘रेल टेका, डहर छेका’ आंदोलन को आजसू पार्टी ने पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है. पार्टी के सांसद, विधायक और कार्यकर्ता आंदोलन के समर्थन में सड़कों पर उतरेंगे.

 

आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव एवं पूर्व विधायक डॉ लंबोदर महतो, विधायक निर्मल महतो, केंद्रीय महासचिव हरे लाल महतो और पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष पार्वती देवी ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी.

 

उन्होंने कहा कि एनई होरो, शिबू सोरेन, रामदयाल मुंडा और यहां तक कि हेमंत सोरेन ने भी पहले कुड़मी समुदाय को एसटी में शामिल करने की वकालत की थी. डॉ महतो ने यह भी बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में 46 सांसद–विधायकों ने इस मांग का समर्थन किया था.


आजसू पार्टी ने आंदोलन की सफलता के लिए झारखंड, बंगाल और ओडिशा में वरिष्ठ नेताओं को जिला प्रभारी नियुक्त किया है

  • गिरिडीह और बोकारो: सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी
  • रामगढ़, हजारीबाग, चतरा: विधायक निर्मल महतो
  • सिंहभूम क्षेत्र: हरे लाल महतो
  • रांची: केंद्रीय नेतृत्व की निगरानी में आंदोलन
  • संथाल परगना: संजीव महतो

डॉ महतो ने बताया कि झारखंड के सभी 24 जिलों के लिए भी प्रभारियों की नियुक्ति की गई है. पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी आंदोलन को लेकर व्यापक तैयारी की गई है.


आजसू पार्टी ने कुड़मी समुदाय के लिए दो मुख्य मांगें रखी हैं

  • कुड़मी जाति को एसटी सूची में पुनः शामिल किया जाए.
  • कुड़मालि भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए.

नेताओं ने कहा कि 1931 से पहले कुड़मी समुदाय को आदिवासी माना जाता था लेकिन बाद में उन्हें ओबीसी में डाल दिया गया. डॉ नारायण उरांव की पुस्तक Tribal Identity and Kurmi Mahtos: A TRI Case Study Unfolds 4000 Year Old Jharkhand History और 1913 व 1931 की ब्रिटिश अधिसूचनाओं में भी कुड़मी को आदिम जनजाति बताया गया है.


आजसू ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन केवल कुड़मी समुदाय के लिए नहीं बल्कि उन सभी जातियों के लिए है जिन्हें ऐतिहासिक रूप से आदिवासी माना गया लेकिन बाद में उन्हें अधिकारों से वंचित कर दिया गया. यह लड़ाई सामाजिक न्याय, सांस्कृतिक पहचान और संवैधानिक अधिकारों की है.

 

Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp