Hazaribagh: पिछले वर्ष जाडे़ के मौसम में केरेडारी प्रखंड के पगार बिरहोर टोला निवासी बिसून बिरहोर की पत्नी अकली बिरहोरीन का पांव रात्रि में सोने के दौरान गंभीर रूप से जल गया था. वह केरेडारी सीएचसी समेत सदर अस्पताल हजारीबाग में कई बार इलाज के लिए पहुंची, लेकिन स्वास्थ्यकर्मियों ने इलाज में भी कोताही बरती. नतीजतन जख्म ठीक होने के बजाय और बढ़ता चला गया. पांव में इंफैक्शन भी हो गया. वह लगातार बेड पर पड़ी रही, लेकिन केरेडारी स्वास्थ्य विभाग का ध्यान कभी उसकी तरफ नहीं गया, जबकि सरकार का निर्देश है स्वास्थ्य विभाग अपने क्षेत्र में निवास कर रहे आदिम जनजाति का केयर करे, हर 15 दिन में बिरहोर टोले में टीम भेजकर उनकी स्वास्थ्य की जांच करे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
उक्त बिरहोर महिला की जख्मी हालत की सूचना किसी ने चट्टी बरियातू माइंस में कोयला उत्खनन कर रही रित्विक प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के लाइजिंग मैनेजर रवि कुमार सिन्हा को दी. इसके बाद तब शुक्रवार को कंपनी ने जख्मी अकली बिरहोरिन को पहले आरोग्यम हॉस्पिटल हजारीबाग में भर्ती कराया, लेकिन पांव की हालत अत्यंत खराब रहने के कारण उसे यहां से रेफर कर दिया गया. इसके बाद कम्पनी ने उसे रांची के चर्चित निजी हॉस्पिटल देवकमल में भर्ती कराया, जहां इलाज भी शुरू कर दिया गया है. कम्पनी के पदाधिकारी सिन्हा ने बताया कि उसके इलाज में जो भी खर्च आयेगा कम्पनी वहन करेगी. वैसे भी इस बिरहोर टोला में कंपनी द्वारा स्वास्थ्य कैंप लगाकर बीच बीच में स्वास्थ्य की जांच की जाती है, मुफ्त में दवा भी दी जाती है. बिरहोर परिवारों की समुचित व्यवस्था की गई है.
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