Vinit Upadhyay Ranchi : रांची रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम में सिर्फ विजय कुजूर का ही एकछत्र राज नहीं है. उनकी मंडली में मनीष और प्रभात भी शामिल हैं. रजिस्ट्री ऑफिस में रिकॉर्ड निकलवाने के लिए आपको इन तीनों की जी-हुजूरी करनी होंगी, तभी आपका काम समय पर होगा अन्यथा आपको एक मामूली से रिकॉर्ड के नकल के लिए कई दिनों तक रजिस्ट्री ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं. रजिस्ट्री कार्यालय में हमारी मुलाक़ात एक महिला वकील से हुई, जिन्होंने करीब 15 दिनों पहले एक भूमि से संबंधित रिकॉर्ड की सर्टिफाइड कॉपी लेने के लिए आवेदन दिया था लेकिन 15 दिनों बाद भी उन्हें अब तक सर्टिफाइड कॉपी नहीं मिली. जानकारी के मुताबिक ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं, जिनमें रिकॉर्ड की सर्टिफाइड कॉपी लेने के लिए पानी की तरह पैसे बहाने के बावजूद लोग महीनों से रजिस्ट्री कार्यालय के चककर लगाने को मजबूर हैं.
15 दिनों से आवेदक को दौड़ाया जा रहा है
22 जनवरी को हरिपदो भगत की डीड की नकल के लिए आवेदन दिया गया था. जिसका रिकॉर्ड बुक 1, वॉल्यूम 14 और पेज नंबर 94-96 में डीड संख्या 726 संधारित है. लेकिन इतनी जानकारी देने के बाद भी 15 दिनों से आवेदक को दौड़ाया जा रहा है. हर दिन आवेदक इस उम्मीद में आते हैं कि उन्हें सर्टिफाइड कॉपी मिलेगी, लेकिन सर्टिफाइड कॉपी की जगह उन्हें एक नई तारीख और आश्वासन देकर भेज दिया जाता है. मनीष कंप्यूटर ऑपेरेटर के पद पर हैं और प्रभात कुमार रिकॉर्ड रूम के इंचार्ज विजय कुजूर के सहायक. आरोपों ये भी हैं कि उक्त तीनों मनमाने ढंग से काम करते हैं.
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