Chaibasa : शाह ब्रदर्स के करमपदा माइंस में बकाया भुगतान के मामले में कंपनी के प्रतिनिधि ज्ञानेंद्र जेना ने अपना बयान जारी कर कहा है कि करमपदा माइंस 2018 से बंद है, अभी झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद यह पुनः चालू हुआ है. करमपदा लौह अयस्क खदान में कार्य किये हुए सभी मजदूरों को नियमानुसार भुगतान किया जा चुका है. सभी मजदूरों को उनके बैंक अकाउंट में पेमेंट किया गया है. इससे संबंधित रिकॉर्ड का अवलोकन मजदूरों द्वारा किया जा चुका है. पूर्व में 2012 में भी मजदूरों को नियमानुसार भुगतान किया गया था. अगर इसके बाद भी किसी मजदूर का कोई नियमानुसार बकाया हो तो उनसे कहा गया है कि वह माइंस ऑफिस में अपना विवरण जमा कर दें ताकि उन्हें भी भुगतान किया जा सके.
माइंस चालू होने से करमपदा के लोगों को रोजगार मिलेगा
कंपनी प्रतिनिधि के अनुसार कुछ बाहरी तत्वों द्वारा वहां के लोगों को बरगलाया जा रहा है. उनलोगों के द्वारा वहां का परिवहन कार्य भी बाधित किया जा रहा है, वे लोग वहां के लोगों को प्रलोभन देकर विधि-व्यवस्था को भी ख़राब करने के लिए उकसा रहे हैं. करमपदा लौह अयस्क के एक-एक मजदुर को उनके नियमानुसार राशि दी गई है और आगे भी अगर किसी का भूलवश छूट गया है, तो वो भी उन्हें दिया जायेगा. आज करीब 4 साल से बंद रहने के बाद झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद माइंस में पड़े स्टॉक को हटाया जा रहा है एवं उससे प्राप्त राशि को सरकारी अकाउंट में जमा किया जा रहा है. माइंस चालू होने से करमपदा एवं उसके आस-पास के लोगों को रोजगार मिलेगा और मजदुर पुनः काम कर सकेंगे. लेकिन कुछ बाहरी लोगों द्वारा केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए वहां के लोगों को उकसाने का काम कर रहे हैं. व्यावसायिक माहौल बिगाड़ना एवं कानून को तोड़ना इन लोगों का पेशा बन गया है. आज के दिन जबकि कोरोना का प्रकोप हर जगह है एवं राज्य की वित्तीय स्थिति भी खराब है, और झारखंड सरकार द्वारा भी राज्य के सभी बंद पड़े उद्योग को खोलने एवं रोजगार देने का प्रयास जोरों से किया जा रहा है. ऐसे में कार्य को बंद कराकर राजस्व की क्षति पहुंचाना कहां तक उचित है.