उच्च न्यायालय के निर्णय पर अमल नहीं किया
गौतम सिंह ने कहा कि छठी जेपीएससी के कई अभ्यर्थी जो आज बीडीओ और पदाधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, उन्हें हाईकोर्ट के डबल बेंच द्वारा दिये गए निर्णय के बाद गहरा आघात एवं चोट पहुंचा है. और इसके लिए पूरी तरह से हेमंत सरकार जिम्मेदार है. आनन-फानन में छठी जेपीएससी परीक्षा का परिणाम घोषित करने के बाद इन्होंने ना उच्च न्यायालय के निर्णय पर अमल किया और ना ही आंदोलनरत युवाओं की आवाज़ को सुना.संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का लगातार प्रयास
इसमें कोई दो मत नहीं कि जबसे झामुमो महागठबंधन की सरकार सत्ता में आयी है तबसे संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. पिछले दो सालों में जेपीएससी ने कई ऐसे वक्तव्य दिए तथा कई विवादास्पद निर्णय लिए, जिसने जेपीएससी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है.कितने अभ्यर्थियों का बहुमूल्य समय बर्बाद कर दिया
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेपीएससी छह के सभी अभ्यर्थियों के साथ-साथ उनके माता-पिता एवं परिवार और समस्त झारखंडी जनता से माफी मांगनी चाहिए. उनके एक निर्णय ने कई परिवारों के अरमानों को खाक कर दिया तथा कितने अभ्यर्थियों का बहुमूल्य समय बर्बाद कर दिया. इसे भी पढ़ें - JPSC">https://lagatar.in/jpscs-feat-of-21-years-not-a-single-exam-was-successful-without-controversy/">JPSCके 21 वर्षों का कारनामा, एक भी परीक्षा बिना विवाद के नहीं हो पायी सफल wpse_comments_template

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