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गौशाला न्यास समिति के अजब-गजब कारनामे

हे अनमोल रतन, सदस्यों पर न ढा सितम

Ranchi: गौशाला न्यास समिति के अराजकता पूर्ण रवैया से आहत सदस्यों का रोष बढ़ता ही जा रहा है. सभी ट्रस्टी चेयरमैन रतन जालान पर सीधा आरोप मढ़ रहे हैं. प्रताड़ित 110 सदस्य मान्यता नहीं दिए जाने से काफी खफा हैं. त्रस्त लोगों का साफ कहना है कि सारे विवाद की जड़ रतन ही हैं. अपने निहित स्वार्थ के कारण 120 साल पुराने गौशाला के गौरवान्वित इतिहास को धूमिल कर दिया है. आगे भी बंटाधार करने में लगे हैं. गोशाला की 15. 95 एकड़ करोड़ों रुपये की जमीन मात्र सात हजार रुपये डिसमिल के भाव से बिकवा दिया. फिर भी शान बघारते फिर रहे हैं. हमने बेहतर सौदा कराया है. सदस्यों का कहना है कि चाहे वे कितना भी तोते की तरह रटते रहे, पर पर्दे के पीछे का खेल सब को समझ आ रहा है. अब भी समय है. सदस्यों पर सितम ढाना छोड़ दे, नहीं तो इतने लोगों की आत्मा से निकली आह झेल नहीं पाएंगे.

गौशाला के बायलॉज की धज्जियां उड़ा दी

गोशाला के बायलॉज की धज्जियां उड़ाते हुए सारे वो काम किए जो नहीं करना चाहिए था. गोशाला के बायलॉज में साफ-साफ लिखा है कि कोई भी ट्रस्टी और सदस्य जो वर्तमान में है, हो चुका है, या हो सकता है. उसे गौशाला का चल और अचल संपति हस्तांतरित नहीं किया जा सकता. फिर भी राजकुमार केडिया को कौड़ियों के भाव जमीन दिलवा दी. बाद में उन्हें सीधा ट्रस्टी ही बनवा दिया. बड़े मियां चेयरमैन साहब इतना के बाद भी सफाइ देते नहीं थकते. खुद को राफ-साफ बताते हुए कहते हैं कि कोई घपला-घोटाला नहीं हुआ है. किसी तरह से कानून नहीं तोड़े गये हैं. ट्रस्टी राजकुमार केडिया को तो गोपालका ने जमीन बेचा है, जबकि किशन गोपाला सामने आकर खुद रतन का विरोध कर रहे हैं. कागजात दिखाते हुए ठगे जाने का आरोप लगा रहे हैं.

सालों दबाये रखा सदस्यों का लाखों रुपया

गो सेवा भाव से सदस्य बनने के इच्छुक 135 लोगो ने 2009 में सदस्यता फार्म जमा कर सारी प्रक्रियाएं पूरी की. 11 सौ रुपये का सदस्यता शुल्क दिया. 21 से 51 हजार रुपये डोनेशन भी दिए. बाद में सभी को उस समय के ट्रस्टी चेयरमैन स्व: ज्ञानप्रकाश बुधिया के हस्ताक्षर से प्रमाण पत्र भी दे दिया गया. स्व: बुधिया के नहीं रहने पर रतन जालान ट्रस्टी चेयरमैन बनाये गये. पद संभालते ही इन्होंने अपना जलवा दिखाना शुरू कर दिया. 2021 में गौशाला की जमीन कम कीमत पर बिकवा दी. 135 लोगाें का 25 से 30 लाख रुपये दबाये रखा और सभी सदस्यों की मान्यता भी रद्द कर दिया. पीड़ित न्याय पाने को अदालत का दरवाजा तो खटखटाया है, पर रतन को खूब कोष भी रहे हैं.

विवाद बढ़ा तो 25 को बना लिया नया सदस्य : बेनी प्रसाद

बेनी प्रसाद अग्रवाल बताते हैं कि सदस्यता मामले का विवाद बढ़ा और विरोध के स्वर मुखर होने लगे. त्रस्त सदस्य थाने से लेकर अधिकारियों तक के चक्कर काटने से भी नहीं चुके तो स्थित बिगड़ता देख माननीयों ने 135 में से 25 लोगों को छांट कर नया सदस्य बना लिया. 2500 से फिर से सारी प्रक्रिया पूरी करायी. 51 हजार का डोनेशन भी लिया. आहत बेनी और कुछ अन्य बुजुर्ग बताते हैं कि उन्हें भी फोन कर के सदस्य बनने की पेशकश की गयी थी. कहा गया था कि 51 हजार रुपये डोनेशन और 11 सौ रुपये का सदस्यता शुल्क देकर नये तरीके से सदस्य बन जाएं, लेकिन सब ने मना कर दिया. बेनी प्रसाद ने बताया कि 110 लोगों के मान-सम्मान की बात है. मैं सभी के साथ सदस्य था, हूं और आगे भी रहूंगा, क्योंकि मुझे आजीवन सदस्यता का प्रमाण पत्र गोशाला की ओर से दिया गया है. ट्रस्टी चेयरमैन पुन: विचार-विमर्श कर फैसला लें. उन्होंने बताया कि न्याय पाने के लिए वे कानूनी लड़ाई लड़ते रहेंगे.

युवाओं को सदस्य बनाना चाहिए : कैलाश सिंघानिया

कैलाश कुमार सिंघानिया बताते हैं कि गोशाला को युवाओं की जरुरत है. ज्यादातर ट्रस्टी और कई सदस्य बुजुर्ग हो चले हैं. गौशाला में श्रम दान नहीं कर सकते. ऐसे में यदि मारवाड़ी समाज के युवा गौ सेवा की भावना से आगे आकर सदस्य बनना चाहते हैं तो सहर्ष सभी को गले लगाना चाहिए. गो सेवा भाव से काम करेंगे तो गलत रहने पर भी सुधर जाएंगे. कैलाश बताते हैं कि सदस्यता मामले में चाहे जिस ओर से भी गलती हुई हो, इसे बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए. ताल-मेल बना कर सदस्यों को मान्यता दी जानी चाहिए. विवाद किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. गलतियां सभी से हो जाती है, पर उसे सही तरीके से सुधारा भी जाना चाहिए.

गलत हुआ है हमारे साथ : उत्तम टिबड़ेवाल

उत्तम टिबड़ेवाल का कहना है कि हमारे साथ गलत हुआ है. चेक से सदस्यता शुल्क और डोनेशन दिया था. सदस्यता प्रमाण-पत्र भी मिला. सदस्य बनाए जाने की सारी प्रक्रिया भी सही तरीके से पूरी की है. अब नयी कार्यकारिणी मान्यता नहीं दे रही तो भी कोई बात नहीं है. गौशाला और उससे जुटे लोगों के खिलाफ कुछ नहीं कहेंगे. गो सेवा की भावना थी, इस कारण गोशाला से जुड़ रहा था. गौ माता की सेवा तो वैसे भी हम करते हैं. इसके लिए सदस्य माने या नहीं बनाए यह उनकी मर्जी है.

सभी को मान्यता मिलनी चाहिए : सुरेश चौधरी

सुरेश चौधरी बताते हैं कि मान्यता सभी को मिलना चाहिए. हमने तो पूरी ईमानदारी से सदस्य बनने की सारी प्रक्रिया पूरी की है. लेकिन पता नहीं किस निहित स्वार्थ के कारण माननीय गलत फैसला ले रहे हैं. चेयरमैन डाक से चेक और पत्र भेज कर विवाद बढ़ा रहे हैं. धार्मिक संस्था है गोशाला। इसे निजी नहीं बनाया जाना चाहिए. ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन इतना तो तय है कि हम सभी के साथ गलत हुआ है. ईश्वर देख रहा है. [wpse_comments_template]