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औरंगाबाद में विभाग की लापरवाही से वर्षों से पड़ा है एंबुलेंस, चलने का इंतजार

6 एंबुलेंस दिये गये थे

Aurangabad: कोरोनाकाल में एंबुलेंस की कमी देखी जा रही है, लेकिन औरंगाबाद में पिछले 8 साल से एंबुलेंस ऐसे ही पड़ा है. उसका अब तक उपयोग नहीं हो सका है. बताया जाता है कि काराकाट लोकसभा क्षेत्र से वर्ष 2009 में सांसद बने महाबली सिंह ने अप्रैल 2013 में दाउदनगर, ओबरा, हसपुरा, गोह, बारुण और नवीनगर पीएचसी के लिए बेसिक लाइफ एंबुलेंस दी थी. प्रत्येक की कीमत 32 लाख रुपये थी. बीते 8 साल में एक बार भी इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सका है.

इस मामले पर महाबली सिंह ने बताया कि एंबुलेंस देने के बाद वे चुनाव हार गए. फिर एंबुलेंस के निबंधन के लिए किसी ने कोशिश नहीं की. जब वे दोबारा चुनाव जीत कर आए तो स्वास्थ्य मंत्री, जिला पदाधिकारी और सिविल सर्जन से बंद पड़े एंबुलेंस को चालू कराने को कहा गया. लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है.

एंबुलेंस का नहीं हुआ निबंधन

इस मामले पर डीएम सौरभ जोरवाल ने कहा कि कोर्ट के आदेश से उनका निबंधन नहीं हो सकता है. एंबुलेंस पुरानी मॉडल की है. जिस पर रोक है. सवाल यह है कि जब एंबुलेंस खरीदी गई थी तब पुरानी नहीं थी. जबकि उस वक्त इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए था. ओबरा के आरजेडी विधायक ऋषि कुमार ने बताया कि तकनीकी कारणों से निबंधन नहीं हुआ है. लेकिन सदन शुरू होगा तो इस मुद्दे को उठाया जायेगा.