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झारखंड में संचालित एंबुलेंसों को आईसीयू की दरकार, 337 में से आधी गाड़ियां जर्जर

Saurav Shukla  Ranchi : झारखंड में 108 एंबुलेंस सेवा को लेकर पिछले कुछ दिनों से विवाद चल रहा है. पहले एनएचएम द्वारा बिना रजिस्ट्रेशन वाली गाड़ियों का उद्घाटन करा दिया गया. फिर स्थाई रजिस्ट्रेशन का आवेदन डीटीओ ने लौटा दिया, क्योंकि जिस राज्य से गाड़ी की खरीददारी हुई वहां की एनओसी व टेंपररी रजिस्ट्रेशन उपलब्ध नहीं थी. इधर, टेंपररी रजिस्ट्रेशन होने के बाद कर्मचारी वेतन नहीं मिलने पर हड़ताल में बैठ गए थे. पिछले दो दिनों से व्यवस्था पटरी पर लौटी है. दो दिन के भीतर पूरी 108 एंबुलेंस सेवा को नई एजेंसी ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विसेज टेकओवर करने वाली है. तमाम विवादों के बीच लगातार.इन "शुभम संदेश" ने पहले से संचालित 108 एंबुलेंस की ऑडिट की. हैरान करने वाली बात सामने आई. 337 में से आधी गाड़ियां जर्जर होने की कगार पर है. क्योंकि सालों से इन गाड़ियों का मेनटेनेंस नहीं हुआ है. जिस एंबुलेंस के भरोसे राज्य के मरीज हैं, उन्हें खुद आईसीयू की दरकार है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/08/IMG-20230814-WA0010.jpg"

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50% से ज्यादा गाड़ियों में जंग लग चुकी

पूर्व से संचालित 337 एंबुलेंस की पड़ताल की. जिलों में तैनात 108 के ड्राइवरों से भी जानकारी जुटाई. पता चला कि राज्य के विभिन्न जिलों में तैनात आधा से ज्यादा गाड़ियों में जंग लग चुकी है. गाड़ी में लगे लोहे के सामान जर्जर होने की कगार पर हैं. 100 से ज्यादा एंबुलेंस की स्ट्रेचर डैमेज हो रहे हैं. स्ट्रेचर तक में जंग लगा हुआ है. एंबुलेंस चालकों ने कहा कि लंबे समय से एंबुलेंसों की सर्विसिंग नहीं कराई गई है. कुछ-कुछ महीनों के अंतराल में सिर्फ ब्रेक, ऑयल, मोबिल, ग्रीसिंग आदि छोटे-छोटे काम कराए जाते हैं.

85 गाड़ियों की एसी काम नहीं करती

337 में से 85 एंबुलेंस की स्थिति ऐसी है कि इनमें एसी तक काम नहीं करती. इनकी एसी दो साल से भी अधिक समय से खराब पड़ी हुई है. कुछ गाड़ियों की बैटरी जवाब दे रही है, थोड़ी देर गाड़ी खड़ी रहने के बाद बैट्री करंट छोड़ देती है. कई बार एंबुलेंसों को धकेल कर स्टार्ट करने की नौबत आती है. शिकायत के बाद एजेंसी ने कुछ गाड़ियों की बैट्री बदलवाई थी, जबकि अभी भी तीन से चार दर्जन गाड़ी ऐसे हैं, जिसकी बैट्री ठीक नहीं कराई गई है.

जगह-जगह से ठुकी हुई है अधिकांश गाड़ियां

पुरानी एजेंसी की सेवा समाप्त होने के बाद दो दिन के भीतर संचालन का पूरा जिम्मा नई एजेंसी के हाथों सौंपना है. ऐसे में सारी गाड़ियां भी हैंडओवर करना है. पर अब सवाल यह उठ रहा है कि मेनटेनेंस के अभाव में छोड़ी गई गाड़ियां क्या नई एजेंसी हैंडओवर लेने को तैयार होगी? क्योंकि अधिकांश गाड़ियां दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद जगह-जगह से ठुकी हुई है. [wpse_comments_template]

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