Search

अमेरिका और तालिबान इन अफगानिस्तान

Hasan Jamal Zaidi 31 अगस्त तक अमेरिका को अफगानिस्तान छोड़ देना है. आज 30 अगस्त है. मतलब एक दिन उनके पास है. इसके बाद तालिबान अमेरिका का एग्रीमेंट खत्म. अभी अमेरिका की करीब 4 हजार फौज और एक हजार अफगानी नागरिक बचे हैं, जिन्हें अमेरिका को निकालना है. अगर अमेरिका इन्हें दो दिन में निकालना उसके जैसे देश के लिए कोई बड़ी बात नहीं है. फिर वो क्यूं टाइम चाह रहे थे? आने वाले कुछ दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं. तालिबान लास्ट डेडलाइन पर अड़े हैं कि तुम निकलो यहां से ? ऐसा लगता है कि अमेरिका ने जो प्लान किया था वो थोड़ा तालिबान के अचानक काबुल कैप्चर कर लेने से गड़बड़ा गया है. 83 बिलियन डालर का असलहा और फौजी साजो-सामान वहां पड़ा है. क्या ये तालिबान के लिए छोड़कर जायेंगे? अचानक दाइश और ब्लैक वाटर की एंट्री होना. एयरपोर्ट पर बम विस्फोट में भारी जानी नुकसान होना? https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/08/kabul4.jpg"

alt="kabul" width="600" height="400" /> अमेरिकन सिक्योरिटी में ऐसी चूक होना बहुत मुश्किल है. और बाहर तालिबान के चेक पोस्टों को पास करना किसी मानव बम के लिए इतना आसान नहीं है ? क्योंकि वो भी खेले खाएं लोग हैं. कपड़ों से ही पहचान लेते हैं. 13 अमेरिकी फौजी मारे गये. ऐसा बताया गया. लेकिन कोई नाम, वीडियो या cctv फुटेज जारी नहीं किए ? जबकि सामान्य एयरपोर्ट पर सब तरह की स्कैनिंग होती है? तो क्या ये विस्फोट अंदर से गेट की तरफ तो नहीं आया? जो जहाज लोगों को लेकर बाहर जा रहे थे, क्या ये उधर से भी खाली वापस आ रहे थे ? सवारियां तो उधर से भी खाली जहाजों में लाई जा सकती हैं? जब चारों तरफ अपनी ही सिक्योरिटी हो और कुछ खेल खेलने का मन हो तो कौन मुश्किल है? अमेरिका अब क्या चाहता है ? ये बड़ा पेचीदा सवाल है. कुछ लोग तो सबको मिला हुआ भी बता देते हैं ! ये आदमी की अपनी मनोदशा पर निर्भर करता है. जो लोग किसी से भी मिल सकते हैं, वो ऐसी राय दूसरों के लिए भी बहुत आसानी से बना लेते हैं. देशों के बीच बातचीत होने का मतलब ये नहीं होता कि सब चंगा है और एक दूसरे के खिलाफ कुछ नहीं कर रहे. काम दूसरे भी चल रहे होते हैं.‌ अफगानिस्तान का एक मैप देखें. इसमें 6 देशों से इसका बॉर्डर शेयर होता है. अफगानिस्तान के इन पड़ोसी देशों में अमेरिका, इजराइल के सदाबहार दुश्मन देश भी है. चाइना है. ईरान है. हमारे लिए पाकिस्तान है. सेंटर एशिया के ऐसे देश हैं, जो रुस पर काफी हद तक निर्भर हैं. मतलब इनमें डिस्टर्बेंस हो तो समझिए रुस में होगा. फिर अमेरिका का इसे इतनी आसानी से इस तरह कूल माइंड होकर छोड़कर जाना तो समझ नहीं आता? ऐसे ही जाना था तो आया क्यूं ? अगर आया था तो 20 साल यहां रुका क्यू ? अब जब लंगड़ फंसाने का पीक टाइम है तो जा रहा है? चीन बेल्ट एंड रोड पर डामर डाल रहा है. ईरान पहाड़ों तक में एयर डिफेंस सिस्टम लगा रहा है. जापान उसके एकाउंट अनफ्रीज कर रहा है. पहली किस्त 3 बिलियन डॉलर की दे रहा है. नेफ्टाली यही शिकायत करने तो गया था कि डैडी आप इस पर ध्यान नहीं दे रहे. वो खिलौने तैयार कर रहा है और आप ये डिप्लोमेसी का चूरन बेच रहे हों? अगर आप एक्शन नहीं लेते तो में उन पांच ग्रैंडफादरों से आपकी शिकायत करूंगा. ये ग्रैडफादर वहीं हैं, जिन्होंने भूरे चच्चा का कैलेंडर बनाया था. अरे वही न्यू वर्ल्ड ऑर्डर वाले आप तो सब समझ ही लेते हों. मुझे लगता है कि वो सुपर पावर अपने शरीर को लेकर जरूर जा रहे हैं. लेकिन अपनी काले पानी जैसी दायशी आत्मा अफगानिस्तान में ही छोड़कर जायेंगे? असलहे में माचिस भी खींच सकते हैं? कोई और बड़ा बवंडर भी क्रिएट कर सकते हैं. अब ये बाते जब हमारे जैसे लोगों के कयास में आ सकती हैं, तो दूसरी पार्टी के भी संज्ञान में जरुर होगी. बल्कि इससे कहीं ज्यादा स्पष्ट होगी? फिर उन्होंने इससे निबटने का भी जरूर कुछ न कुछ प्लान तैयार किया होगा? टांगों में डंडे बजाने को उनकी भी हार्दिक इच्छा बलवती हो रही होगी कि प्रिय ब्लैक एंड दाइश आओ तो सही, अगर तुम्हारा तशरीफ कूट-कूट कर नीली न कर दे तो. यहां बाईडेन के लिए दिक्कत ये है कि विरोधी पार्टी में चारों साथी परमाणु उर्जा से संपन्न लोग हैं. तीन घोषित ओर एक अघोषित. इसलिए यहां खुलेआम बदमाशी करना तो भारी पड़ जायेगा. कपड़े लत्ते फटने के साथ जल भी सकते हैं. बाइडन के लिए भी ये टफ टाइम है. उधर भूरे चच्चा उसके डंडा किए हुए हैं कि तू बेइज्जती खराब करा रहा है. ऐसे में आदमी रो धोकर ही अपने लत्ते बचाता है. इसलिए दाएं-बाएं से हल्के पथराव लाठीचार्ज और गाली-गलोज की संभावना ज्यादा नजर आ रही है. स्थिति तनावपूर्ण और किसी एक के नियंत्रण में नहीं है. बाकी देखते हैं क्या रहता है? डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं. [wpse_comments_template]  

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp