
टेरर फंडिंग के आरोपों के बीच आधुनिक वाले अग्रवाल बंधु फिर झारखंड में अपनी धमक दिखाने को तैयार

Anand Kumar Ranchi : दीवालिया होकर झारखंड और ओडिशा में अपने महत्वपूर्ण इस्पात कारखानों, लौह अयस्क खदान और पावर प्लांट से हाथ धो बैठे अग्रवाल बंधु फिर एक बार राज्य में अपनी धमक दिखाने की तैयारी में हैं. उन्होंने सरायकेला के चांडिल स्थित कंपनी बिहार स्पंज को इसके संचालक उमेश मोदी से लीज पर लिया है. इसके अलावा उन्होंने ओडिशा में केएस अहलूवालिया के स्वामित्व वाले विराज स्टील को भी लीज पर चलाने के लिए लिया है. इसके साथ ही अग्रवाल बंधु सरायकेला के पदमपुर स्थित पावर प्लांट, आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्सेज लि. को दोबारा अपने अधिकार में लेने की तैयारी में हैं. इसके लिए पिछले दरवाजे का रास्ता अख्तियार किया जा रहा है और काफी हद तक उन्हें इसमें सफलता भी मिल चुकी है. अग्रवाल बंधुओं की तैयारी आधुनिक पावर में अपनी होल्डिंग बढ़ा कर 70 प्रतिशत करने की है. बताया जाता है कि 26 प्रतिशत के करीब शेयर उनके पास आ चुके हैं. अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक दुर्गापुर कॉरपोरेशन सहित अन्य कंपनियां आधुनिक पावर के शेयर खरीदने में जुटी हैं. दुर्गापुर कॉरपोरेशन अग्रवाल बंधुओं में से एक महेश अग्रवाल की बतायी जाती है, जिन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने टेटर फंडिंग के मामले का आरोपी बनाया है. फिलहाल यह मामला झारखंड उच्च न्यायालय में है, जिस पर जल्द ही फैसला आने की उम्मीद है. यह वही महेश अग्रवाल हैं, जिन्होंने अपने छोटे भाई मनोज अग्रवाल को किनारे लगाकर आधुनिक समूह की बागडोर संभाली थी और दो-तीन साल में ही कंपनी का दीवाला निकल गया था. स्थित यहां तक पहुंची कि अग्रवाल बंधुओं की कंपनियों आधुनिक एलॉयज एंज पावर लि. और ओडिशा मैंगनीज एंज मिनरल्स लि. में पैसा लगानेवाले वित्तीय संस्थान और बैंक अपनी पूंजी वापस लेने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में गये और ट्रिब्यूनल ने कांड्रा स्थित आधुनिक एलॉयज एंड पावर लि. तथा राउरकेला स्थित आधुनिक मेटालिक्स लि. की बोली लगा कर बकायेदारों को पैसा चुकाया. आधुनिक पावर में शेयर काफी कम हो जाने के बावजूद अग्रवाल बंधु कंपनी में अपना अधिकार खोना नहीं चाहते थे. लिहाजा उन्होंने एक रास्ता चुना. उन्होंने कंपनी में पैसा निवेश करनेवालों बैंकों के कंसोर्टियम से सांठगांठ कर वित्तीय संस्थान एडलवीस (Edelweiss) को कंपनी में पैसा लगाने और इसका संचालन करने के लिए राजी कर लिया. एडलवीस के आने का फायदा यह हुआ कि भले ही कंपनी में अग्रवाल बंधुओं की होल्डिंग बहुत कम हो गयी, निदेशक मंडल में पूछ नहीं रही, लेकिन नियंत्रण जाने के बावजूद कारखाने के परिचालन और कच्चे माल की आपूर्ति संबंधी कार्यों में उनकी संलिप्तता और हित बरकरार रहा. कच्चे माल की आपूर्ति से ही जुडा है टेरर फंडिग का मामला. आधुनिक पावर का कोयला पिपरवार से उठता है. यहां से लिंकेज या ऑक्शन का कोयला उठाना हो या अवैध कोयला टपाने का काम, नक्सलियों को मैनेज किये बिना संभव नहीं है. इसके लिए प्रतिटन रकम तय है. कुछ समय पहले राज्य सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसियों ने आतंकी और नक्सली संगठनों को फंडिग के रूट की जांच शुरू की, तो इसमें कई रसूखदारों और सफेदपोशों के नाम भी सामने आये. इसमें एक नाम महेश अग्रवाल का भी था, जो तब आधुनिक कंपनी के निदेशकों में से एक थे. मुकदमा दर्ज हुआ. कंपनी के महाप्रबंधक (कोल) संजय जैन गिरफ्तार होकर लंबे समय तक जेल में रहे. महेश अग्रवाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ और उन्होंने इससे छूट पाने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली. कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी होने तक अग्रवाल की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, लेकिन इसी बीच संजय जैन सरकारी गवाह बन गये. जैन के गवाह बनने से महेश अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि जैन ही वह अधिकारी हैं, जो कोयले की आपूर्ति के लिए जिम्मेदार थे. उनकी गवाही काफी अहम होगी. कल भी जारी...