Sounitra Roy भारत की ग्रेटा थनबर्ग लुसिप्रिया कंगुजम दिल्ली को ऑक्सीजन देने की मांग कर रही थी. (वही ऑक्सीजन, जिसके बारे में हमारे प्रधानमंत्री हवा से शक करने की बात करते हैं.) अमित शाह की दिल्ली पुलिस ने ठीक नवरात्र पर देश की बेटी को 40 मिनट तक हिरासत में रखा. उनके साथ 12 साल के बच्चे आरव सेठ को भी उठाया गया. क्यों? क्योंकि वह दिल्ली के हाई सिक्योरिटी जोन में विरोध कर रही थी. क्या आज़ाद देश में विरोध करने के लिए भी कोना ढूंढना पड़ेगा! लुसिप्रिया को आगे विरोध करने पर गिरफ्तारी की चेतावनी दी गयी. लेकिन इस दिलेर बेटी का कहना है कि वह दोबारा विरोध करेगी.
कुछ सीखा आपने?
नहीं! आप किसी स्त्री के विरोध को बर्दाश्त ही नहीं कर सकते. बेटी, बहन, मां, बहू किसी भी रूप में नहीं. आप स्त्री को एक खामोश देवी के रूप में देखना चाहते हैं. दरअसल, यही हक़ीक़त है. दिल्ली की हवा जहरीली हो चुकी है. सरकार पराली के धुंए को दोष देती है. असल में यह PM 2.5 की मात्रा का सिर्फ 6% ही है. CEEW की रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली की हवा जहरीली करने वाली गाड़ियां हैं, जो 39% तक जहर घोलती हैं. ताप बिजलीघर 11%, सड़कों की धूल 38%, उद्योग 29% तक जहर घोल देते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में जहर फैलाने के लिए पिछले साल ही मोदी सरकार को लताड़ा था. लेकिन आप किसानों को दोष देंगे. बेटियों-बच्चों को हिरासत में ले लेंगे. क्योंकि वह शुद्ध हवा मांग रहे हैं. क्यों? क्योंकि वे कमज़ोर हैं? यही ताक़त है सरकार और समाज की? डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.