NewDelhi : देश के नये मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) की नियुक्ति को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और संविधान की भावना के खिलाफ काम किया है. बता दें कि सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आयोजित चयन समिति की बैठक में ज्ञानेश कुमार को सीईसी नियुक्त किया गया. इस पर राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया. चुनाव आयुक्त का चयन करने के लिए समिति की बैठक के दौरान, मैंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को एक असहमति नोट प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया था कि कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का सबसे बुनियादी पहलू चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने की प्रक्रिया है.
आधी रात को निर्णय लेना प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के लिए अपमानजनक और असभ्यता दोनों है
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करऔर भारत के मुख्य न्यायाधीश को समिति से हटाकर, मोदी सरकार ने हमारी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को बढ़ा दिया है. नेता प्रतिपक्ष के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं बाबासाहेब अम्बेडकर और हमारे देश के संस्थापक नेताओं के आदर्शों को कायम रखूं और सरकार को जिम्मेदार ठहराऊं. नये सीईसी का चयन करने के लिए आधी रात को निर्णय लेना प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के लिए अपमानजनक और असभ्यता दोनों है, जब समिति की संरचना और प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है और अड़तालीस घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है.
संशोधित कानून ने CJI को CEC की चयन समिति से हटा दिया
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक्स पर पोस्ट कर आरोप लगाया कि सरकार ने आधी रात को जल्दबाजी में नये मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी. यह संविधान की भावना के खिलाफ है. कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई बार दोहराया है कि चुनावी प्रक्रिया की शुचिता के लिए CEC को निष्पक्ष होना चाहिए.केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि संशोधित कानून ने CJI को CEC की चयन समिति से हटा दिया. कहा कि सरकार(मोदी) को सीईसी का चुनाव करने से पूर्व 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई तक इंतजार करना चाहिए था.
केसी वेणुगोपाल बोले- CEC संदेह के घेरे में
केसी वेणुगोपाल ने कहा कि जल्दबाजी में बैठक बुलाने और नये सीईसी की नियुक्ति के उनके फैसले से कुछ संकेत मिलते हैं. इसका मतलब सरकार SC के अधिकार क्षेत्र को दरकिनार करते हुए स्पष्ट आदेश आने से पहले नियुक्ति करने की इच्छुक है. इस तरह का घृणित व्यवहार केवल उन संदेहों की पुष्टि करता है जो कई लोगों ने व्यक्त किये है. कैसे सत्तारूढ़ शासन चुनावी प्रक्रिया को नष्ट किया जा रहा है और अपने लाभ के लिए नियमों को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है.`केसी वेणुगोपाल ने दावा किया कि चाहे फर्जी मतदाता सूचियां हों, भाजपा के पक्ष में कार्यक्रम हों या ईवीएम हैकिंग के बारे में चिंताएं हों. ऐसी घटनाओं के कारण सरकार और उसके द्वारा नियुक्त सीईसी गहरे संदेह में घिरते हैं.
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