Surjit Singh
पश्चिम बंगाल की हार ने भाजपा में मोदी-शाह की जोड़ी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ऐसा लग रहा है नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने जो किला बनाया था, उसमें दरार आने लगी है. बंगाल चुनाव से पहले तक मोदी-शाह के इशारे के बिना भाजपा का कोई पत्ता भी नहीं हिलता था. अब देखा जा रहा है कि पत्ते न सिर्फ हिलने लगे हैं, बल्कि बगल के पत्ते को नुकसान भी पहुंचा रहे हैं और गिरने भी लगे हैं. यहां तक की मोदी शाह की जोड़ी को आंखें भी दिखाने लगे हैं. कम से कम यूपी, कर्नाटक, गुजरात, त्रिपुरा और गोवा में ऐसा ही देखने को मिल रहा है. पांचों राज्यों में सत्ता भाजपा की ही है.
बात यूपी की
अगले कुछ महीने में यूपी में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसी स्थिति में केंद्र से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अनबन सामने आ चुकी है. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर अब भी जारी है. कहा जा रहा है कि मोदी-शाह के लिए योगी खतरे की घंटी बनते जा रहे हैं. योगी यूपी में हिंदुत्व का सबसे बड़ा चेहरा हैं. यही कारण है कि कोई उन्हें नाराज नहीं करना चाहती.
कर्नाटक में क्या चल रहा है
कर्नाटक के सीएम येदुरप्पा वहां के सबसे बड़ी जाति लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े नेता हैं. कर्नाटक भाजपा का एक बड़ा समूह येदुरप्पा के खिलाफ सामने आ चुका है. और येदुरप्पा केंद्रीय नेतृत्व को आंखें दिखाने लगे हैं. दक्षिण भारत का कर्नाटक ही वह राज्य है, जहां भाजपा का शासन है. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा में टूट बहुत करीब है.
गृह राज्य गुजरात
मोदी-शाह के गृह राज्य गुजरात में भी हालात सामान्य नहीं रहे हैं. भाजपा के गुजरात अध्यक्ष सीआर पाटिल और सीएम विजय रूपानी के बीच तनातनी जग जाहिर हो चला है. दोनों पक्ष केंद्रीय नेतृत्व के सुलह-सलाह वाले फॉर्मूले पर चलने को राजी नहीं दिख रहे हैं. वहां भाजपा के भीतर ही तीसरा खेमा भी अलग राह बनाने लगा है. वह है गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल का खेमा.
गोवा में बाप के खिलाफ बेटी
गोवा में राजनीति में वंशवाद का विरोध करने वाली भाजपा का शासन है. वहां के सीएम प्रमोद सावंत की बेटी ने ही उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. हालात खराब होने लगे तो केंद्रीय नेतृत्व को गोवा पहुंचना पड़ा है. आरएसएस के करीबी बीएल संतोष वहां पहुंच चुके हैं.
त्रिपुरा में सत्ता जाते-जाते बची
बंगाल भाजपा में मची भगदड़ की आग त्रिपुरा तक पहुंच चुकी है. पिछले सप्ताह खबर फैली कि त्रिपुरा भाजपा के दर्जन भर से अधिक विधायक टूट कर टीएमसी में जाने वाले हैं. आनन-फानन में कई केंद्रीय नेता त्रिपुरा पहुंचे. जैसे-तैसे मामला सलट तो गया. लेकिन कहा जा रहा है कि वहां जिस तरह से कैलाश विजयवर्गीय सक्रिय हैं, उस माहौल में हालात ज्यादा दिन तक सामान्य नहीं रहने वाले.
इन पांचों राज्य में भाजपा सत्ता में है. सत्ता में बैठे लोग मोदी-शाह की उस चक्रव्यूह को तोड़ने में लगे हैं, जिसमें विरोध की आवाज बाहर नहीं आ पाती थी. बंगाल चुनाव के बाद पार्टी के भीतर ही मोदी के चेहरे को लेकर सवाल उठने लगे हैं. अगर मोदी-शाह ने जल्द ही किले की दरारों की मरम्मत नहीं की, तो भाजपा शासित राज्यों में पार्टी में बिखराव को रोकना मुश्किल हो जायेगा.