कृत्रिम बुद्धिमत्ता : अवसर के साथ चुनौती

Dr. Kaushalendra `Batohi` पिछले एक दशक में प्रौद्योगिकी और शोधों में जिसने सबसे ज्यादा आम आदमी के जीवन को प्रभावित किया है, वह है कृत्रिम बुद्धिमत्ता. कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक ऐसी तकनीक है, जो मशीन को इंसान की तरह निर्णय लेने की क्षमता विकसित करती है. समय के साथ सूचना तंत्र के इस दौर में भारत में भी प्रौद्योगिकी के प्रचार-प्रसार के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग भी बढ़ा है. यह एक ऐसी तकनीक है, जो हर आदमी के घर, नौकरी और जीवन के हर उन तरीकों से प्रवेश कर रहा है, जिसके बारे में आपने सोचा भी नहीं था. कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने हर भारतीय के व्यक्तिगत जीवन, सामाजिक जीवन, राजनैतिक स्वरूप एवं व्यवस्थागत रूप से प्रभावित कर रहा है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) मुख्यतः ‘कोई भी कार्य जिसे सीखा जा सकता है’, वहां इस तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है. हम इस तकनीक के माध्यम से मशीनों को उपकरणों में निर्णय लेने की क्षमता विकसित करते हैं. दिन पर दिन इसके विकास एवं बढ़ते प्रयोग ने एक अवसर के साथ मानव जीवन के लिए चुनौती भी है, क्योंकि निर्णय लेने की क्षमता के साथ विकसित उपकरण क्या मनुष्य के समकक्ष समझे जाएंगे? क्या उपकरण मनुष्य से अधिक शक्तिशाली हो जाएगा? जब उपकरण अपने मालिक से अधिक शक्तिशाली हो जाए तो इसका परिणाम क्या होगा? एआई आधारित उपकरणों के अधिकाधिक प्रयोग भी एक चुनौती प्रस्तुत कर रहा है. फिर सवाल है कि आखिर मनुष्य, खासकर युवा पीढ़ी की रचनात्मकता, मानसिक एवं सामाजिक जीवन के साथ वास्तविक जीवन का विकास कैसे हो? गूगल के आने के बाद कुछ हद तक युवा की नैसर्गिक रचनात्मकता प्रभावित हुई, परन्तु एआई आधारित चैट जीपीटी जैसे प्लेटफार्म के चलन के बाद अब रचनात्मकता का भी स्थान लेने वाले उपकरण / प्लेटफार्म आसानी से उपलब्ध हैं. यह इस बात का द्योतक है कि युवा अगर रचनात्मक है भी तो आपका स्थान लेने के लिए कृत्रिम उपकरण उपलब्ध है. एआई के जनक एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिक जेफ़ी हिंटन ने कहा कि हमने जिस तकनीक को विकसित किया, वह आने वाले समय में इंसान से ज्यादा बुद्धिमान हो जाएगी एवं इसके गलत इस्तेमाल होने की भी संभावना बढ जाएगी. एआई आधारित तकनीक का महत्त्वपूर्ण प्रगति आदेश देना, याद रखना, अवधारणात्मक गति, निगमनात्मक तर्क जो कि गैर-नियमित एवं संज्ञानात्मक कार्य से संबंधित है, क्षेत्र में हुआ है. परिणामत: वे व्यवसाय जो उपरोक्त क्षेत्र से संबंधित हैं एवं अधिक उन्नत, ऑटोमेशन के संपर्क में हैं, वे इसके जद में हैं. एआई ने व्यावसायिक पेशेवर क्षेत्र प्रबंधकों, विज्ञान और इंजीनियरिंग पेशेवर, कानूनी, सामाजिक एवं सांस्कृतिक पेशेवर क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है. यह पिछली स्वचालित तकनीकों के प्रभाव के विपरीत है, जो कि कम-कुशल, अर्द्ध कुशल श्रमिकों को रोजगार देने की प्रवृत्ति के साथ विकसित हुए थे. एआई आधारित उद्योगों में, इसपर विकसित अर्थव्यवस्था में उच्च कौशल आधारित, उच्च रूप से प्रौद्योगिकी के साथ प्रशिक्षित श्रमिकों की मांग है एवं उच्च वेतनमान के साथ रोजगार के नये अवसर सृजित कर रहा है. इन तकनीकों के प्रभावी ढंग से उपयोग करने का कौशल है, तबतक उच्च जोखिम के श्रमिकों के लिए अच्छी बात हो सकती है. ओईसीडी के शोध के अनुसार 2012-19 के बीच एआई का फैलाव उन व्यवसायों से संबंधित है, जहां पर कंप्यूटर का अधिक प्रयोग होता है. तात्पर्य यह है कि जिन श्रमिकों के पास मजबूत डिजिटल कौशल है, उनके पास अधिक क्षमता है, कार्यस्थल पर एआई के अनुकूल हैं, वैसे श्रमिक भविष्य में भी अपनी उपयोगिता कायम रखेंगे. परन्तु विशेषकर कोविड माहामारी के बाद एआई का विकास व्यापक रूप से विभिन्न क्षेत्रों जैसे उत्पादन, यातायात, सफाई, कृषि इत्यादि में भी होने लगा है और ये सभी क्षेत्र अकुशल मजदूरों को सबसे ज्यादा रोजगार प्रदान करते हैं. इन क्षेत्रों में बहुतायत मात्रा में प्रयोग एवं फैलाव भारत जैसे विकासशील देश में अकुशल लोगों के रोजगार के लिए चुनौती पैदा करेगा. भारत में मानवरहित वाहन पर प्रतिबंध भारत सरकार का एक अच्छा निर्णय है, क्योंकि ड्राइविंग एक कम पढे-लिखे लोगों के लिए रोजगार का अच्छा साधन है. दूसरी तरफ एआई नई जॉब मार्केट, एक नई कार्यपद्धति एवं व्यापार मॉडल का भी विकास कर रहा है. एआई के प्रयोग से वैशिक शिपिंग एवं लॉजिस्टिक्स कंपनी अपने वितरण मार्गो को अनुकूलित करते हुए ईंधन की लागत मे लाखों की बचत करते हैं एवं इसके कारण कार्बन फूटप्रिंट की भी कमी कर रहे हैं, जो पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है. एआई आधारित तकनीक से आज श्री एवं एलेक्सा जैसे उन्नत आभासी माध्यम से कार्यो की प्राथमिकता, बैठकों के कार्यक्रम, यहां तक कि ईमेल बॉक्स को भी प्रबंधित किया जा रहा है. चेट, जीपीटी एवं बार्ड जैसे जनरेटिव एआई आधारित टूल्स के विकास ने एक चुनौती पेश की है कि क्या एआई उन नौकरियों की जगह लेगा, जिनमें लेखन हो, रचनात्मकता हो, शैक्षणिक कार्य हों इत्यादि. परन्तु इसकी संभावना बहुत ही कम है कि एआई तकनीक कभी भी मनुष्यों की प्रामाणिक रचनात्मकता का स्थान ले ले, परन्तु यह पहले से लिखे विचारों एवं दोहराव वाली सामाग्री को विकसित करने में सहायता प्रदान कर सकती है. इसके प्रयोग से आजकल कला एवं डिजाइन क्षेत्र में भी अच्छी कमाई हो रही है. इसके प्रयोग से ग्राफिक डिजाइन, विशिष्ठ डिजाइन एवं व्यावसायिक कला, लोगो इत्यादि के निर्माण के क्षेत्र में अवसर उत्पन्न हुआ है. तो विचारणीय पहलू यह है कि एआई जनित कला में कलाकारों और डिजाइनरों के लिए क्या अवसर है? उनके लिए व्यावसायिक रूप से नुकसानदेह है. इसलिए इस क्षेत्र के जानकार लोग एआई जनित कला को एक उपकरण के रूप मे देखते हैं और कुछ लोग कालाकारों के लिए खतरे के रूप मे देखते हैं. एआई के प्रयोग से रोबोट के माध्यम से होटलों में सेवा प्रदाता, विभिन्न मॉलों मे स्वयं बुकिंग, सुरक्षा जांच, कुरियर, गोदामों के स्टॉक का रखरखाव, ऑटोमैटिक सफाई यंत्र इत्यादि के अत्यधिक प्रयोग ने अशिक्षित मजदूरों के रोजगार के लिए एक चुनौती उत्पन्न कर दी है. एक और प्रमुख चुनौती, जो एआई के अत्यधिक प्रयोग से पैदा होगा, वह है अत्यधिक इनफार्मेशन के कारण असली एवं नकली की पहचान. आने-वाले समय में इस क्षेत्र में ऐसी प्रतिस्पर्धा आएगी, जिसे रोक पाना संभव नहीं होगा एवं यह इंसान से ज्यादा बुद्धिमान तकनीक हो जाएगी. डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. 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