NewDelhi : हमें एक मांग उठानी पड़ेगी कि हमारे देश में आप प्राइम मिनिस्टर एक ही कार्यकाल के लिए बन सकते हैं. उसके बाद कोई और आयेगा, उसके बाद कोई और… राजा-महाराजा का समय अब खत्म हो चुका है. हम देश का पीएम केवल एक टर्म के लिए चाहते हैं. चर्चित लेखिका बुकर प्राइज विनर अरुंधति रॉय ने यह बात कही है. बता दें कि हाल में दिल्ली प्रेस क्लब में जामिया मिलिया इस्लामिया की घटना के दो साल पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रही थीं.
वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. ट्विटर पर उनके वीडियो शेयर किये जा रहे हैं. लोग अपनी राय रख रहे हैं. कुछ लोग #ArundhatiRoy के साथ उन पर लानत भी भेज रहे हैं. मीम्स भी बना रहे हैं. फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने अरुंधति वीडियो शेयर करते हुए लिखा, एक और फ्रस्टेटेड लिबरल…. अरुंधति रॉय लगातार देश के खिलाफ जहर फैलाती रहती हैं लेकिन हर बार वह हार जाती हैं.
विजयन को वन टर्म सीएम पॉलिसी की सलाह क्यों नहीं देती
अशोक पंडित के ट्वीट पर रीएक्शन देते हुए विद्यासागर पाल ने ज्योति बासु और बुद्धदेव भट्टाचार्य का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने वन टर्म सीएम क्यों नहीं अपनाया. वह विजयन को वन टर्म सीएम पॉलिसी की सलाह क्यों नहीं देती हैं? लिखा कि चैरिटी घर से शुरू होनी चाहिए. एक अन्य यूजर्स ने कहा, इन्हें कोई बताये कि राजा को प्रजा चुनती है. एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा- खलबली है… खलबली. मदन वैष्णव ने लिखा कि ये वामपंथियों का दर्द बोल रहा है. कुछ भाजपा समर्थकों का कहना है कि मोदी को हराना नामुमकिन है.
रॉय मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करती रही है
जान लें कि अरुंधति रॉय मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करती रही है. जामिया मिलिया के कार्यक्रम में साफ कहा, इनको सत्ता से हटाना पड़ेगा और जो भी पॉलिटिकल पार्टी एक दूसरे से लड़ती हैं, वे लोग इनका साथ दे. यूपी में हम चाहते हैं कि पूरा विपक्ष, जो फासीवाद के खिलाफ है, वे एकसाथ हो जायें. अगर वे नहीं होते हैं तो इसका मतलब होगा कि वे इनके साथ हैं.
जामिया की घटना को लेकर उन्होंने UAPA कानून का भी जिक्र करते हुए कहा, क्या ऐसा हो सकता है कि आप किसी को भी उठाकर सालों तक जेल में बंद कर सकते हैं. प्रिवेंटिव डिटेंशन… कहां पर होता है ऐसा कानून? जिस जिसको उन्होंने आतंकवाद के नाम पर उठाया, इसलिए उठाया क्योंकि उन्हें अच्छी तरह से मालूम है कि ये लोग टेररिस्ट नहीं हैं. कहा कि जीएन साई बाबा, सुधा भारद्वाज, उमर खालिद, इनमें से कोई भी आतंकी नहीं है. आरोप लगाया कि सरकार UAPA लेकर आई जिससे व्यक्तिगत रूप से किसी को आतंकी घोषित किया जा सके.
सीएए का टारगेट मुस्लिम समुदाय है.
जामिया, शाहीन बाग का जिक्र करते हुए अरुंधति ने कहा कि 1935 में हिटलर के राज में जर्मनी में ये किया गया था कि स्टेट फैसला लेगा नागरिक कौन हैं और वो उसी दस्तावेज से तय होगा, जो सरकार देगी. यहां असम में बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ शुरू हुआ था, अब सीएए भी आ गया. इसका टारगेट मुस्लिम समुदाय है. उन्होंने कहा कि जैसे इन्होंने कृषि कानून वापस लिया, ऐसे ही एनआरसी-सीएए भी वापस लेना पड़ेगा..