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शराब घोटालाः केंद्र सरकार की अनुमति के बिना ही झारखंड में कंसल्टेंट बने थे ITS अधिकारी अरूणपति त्रिपाठी

भारतीय दूरसंचार सेवा (ITS) के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी
  • अरूणपति त्रिपाठी भारतीय दूरसंचार सेवा का वरीय अधिकारी है.
  • शराब कंपनियों से प्रति पेटी 50-70 रुपये की दर से कमीशन वसूली.
  • 1.25 करोड़ रुपये फीस के बदले छत्तीसगढ़ मॉडल को झारखंड में लागू करवाया.

Ranchi : शराब घोटाले के बड़े मास्टरमाइंड के रुप में चिह्नित ITS अधिकारी अरूणपति त्रिपाठी ने झारखंड में कंसल्टेंट बनने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली थी. भारतीय दूरसंचार सेवा (ITS) के अधिकारी होने की वजह से झारखंड में उत्पाद विभाग का कंसल्टेंट बनने से पहले दूरसंचार मंत्रालय से अनुमति लेना आवश्यक था. छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में त्रिपाठी ने प्रिज्म होलोग्राफी से प्रति होलोग्राम नौ पैसे शराब पर प्रति पेटी 50-70 रुपये की दर से कमीशन वसूली थी.


अरूणपति त्रिपाठी भारतीय दूरसंचार सेवा का वरीय अधिकारी है. केंद्र सरकार ने उन्हें छत्तीसगढ़ में प्रतिनियुक्ति पर भेजा था. प्रतिनियुक्ति के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार ने त्रिपाठी को छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड( CSMCL) का प्रबंध निदेशक के पद पर पदस्थापित किया था.

 

प्रबंध निदेशक के रूप में काम करने के दौरान त्रिपाठी ने शराब सिंडिकेट के साश साजिश रच कर शराब घोटाले को अंजाम दिया. CSMCL के प्रबंध निदेशक के रूप में काम करते हुए CSMCL की ही दुकानों को पूरी तरह शराब सिंडिकेट के नियंत्रण में दे दिया. इसके लिए मैनपावर स्पलाई करनेवाली कंपनी सुमित फैसिलिटीज सहित अन्य कंपनियों का सहारा लिया.


CSMCL के प्रबंध निदेशक के रूप में काम करने के दौरान अपने ही क़ॉरपोरेशन के लिए होलोग्राम छापने वाली कंपनी प्रिज्म होलाग्राफी एंड फिलम्स नामक कंपनी से कमीशन लिया. त्रिपाठी ने प्रति होलोग्राम नौ पैसे की दर से कमीशन वसूली. छत्तीसगढ़ में हुई जांच के दौरान प्रिज्म होलोग्राफी के विधु गुप्ता ने कमीशन देने की बात स्वीकार की थी.

 

त्रिपाठी ने देशी शराब बनाने वाली कंपनियों पर सिद्धार्थ सिंघानिया के सहारे नियंत्रण कायम किया. वही सिद्धार्थ सिंघानिया, जिसे पिछले दिनों झारखंड एसीबी ने गिरफ्तार किया था. वह झारखंड में हुए शराब घोटाले का किंगपिन है. 

 

अरुणपति त्रिपाठी पर आरोप है कि उसने शराब कंपनियों से प्रति पेटी 50-70 रुपये की दर से कमीशन वसूली. प्रिज्म से होलोग्राफी से होलोग्राम लिया और शराब की बोतलों पर लगा कर बगैर लेखा-जोखा के CSMCL की दुकानों तक पहुंचा. मैनवापर सप्लाई करनेवाली कंपनी के कर्मचारियों सहारे इसे गलत तरीके से दुकानों मे पहुंचायी गयी शराब की बिक्री करायी गयी. यह बिक्री CSMCL के लेखा जोखा से बाहर होने की वजह से उस पर सरकार को किसी तरह के टैक्स का भुगतान नहीं किया गया.


त्रिपाठी ने 1.25 करोड़ रुपये फीस के बदले छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के मॉडल को झारखंड में लागू करवाया. इसमें सरकारी अधिकारियों की मदद ली. त्रिपाठी ने झारखंड में उत्पाद विभाग के अधिकारियों की मदद से होलोग्राम छापने, मैनपावर स्पलाई करने से लेकर शराब के थोक व्यापार को भी छत्तीसगढ़ सिंडिकेट के हवाले करने में कामयाबी हासिल की. साथ ही ऐसा नियम भी बनवा लिया, जिससे शराब के कारोबार में किसी तरह की गड़बड़ी के लिए कॉरपोरेशन या विभाग के किसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सके.

 

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