- झारखंड को जल्द मिल सकता है पहला महिला मुख्यमंत्री के साथ गंठबंधन में दरार की बात कही जाने लगी थी.
- राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित मुख्य समारोह में राजद कोटे के मंत्री संजय यादव मुख्यमंत्री के साथ मंच पर दिखे.
- देखना यह है कि ठंड के इस मौसम में गर्मी और बढ़ेगी या अटकलें बर्फ की तरह पिघल जायेंगी.
Surjit singh
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कई दिनों से दिल्ली में हैं. वहां वह किनसे मिल रहे हैं? क्यों मिल रहे हैं? जिनसे मिल रहे हैं, उनसे किस मुद्दे पर बात चल रही है? इन सूचनाओं व सवालों के जवाब किसी के पास पक्के तौर पर नहीं है. लेकिन झारखंड में राजनीतिक फेरबदल की अटकलें तेजी से लगायी जाने लगी है.
सोशल मीडिया पर लिखा जा रहा है, यूट्यूब चैनल्स पर खूब आकलन किये जा रहे हैं. यह अलग बात है कि ना तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने, ना ही उनकी पार्टी झामुमो ने, ना कांग्रेस ने और ना ही भाजपा के किसी जिम्मेदार ने अब तक कुछ भी इशारा किया है. इस बीच झामुमो ने यह साफ कर दिया है कि सरकार के सभी साथी एकजुट हैं. यह घटना इस ओर भी इशारा करता है कि कैसे एक स्थिर सरकार के लिए अस्थिर माहौल बनाया जाता है और कैसे सरकार के घटकों के बीच अविश्वास को बढ़ाया जा सकता है. हेमंत सोरेन के पिछले कार्यकाल में भी चार साल तक यही सब चलता रहा था.
दरअसल अटकलों का बाजार करीब एक माह पहले तब शुरु हुआ, जब झामुमो को बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की तरफ से एक भी सीट नहीं दिया गया. बस पहले यह कहा गया कि झारखंड में राजद को सरकार से अलग किया जा सकता है. लेकिन राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित मुख्य समारोह में राजद कोटे के मंत्री संजय यादव मुख्यमंत्री के साथ मंच पर दिखे. मुख्यमंत्री ने यहां संजीदगी के साथ गठबंधन धर्म का पालन किया और वह एक संदेश देने में सफल रहें.
बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त से ही यह कहा जाने लगा कि झारखंड सरकार में शामिल दलों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने पोस्ट किया कि "झारखंड को जल्द मिल सकता है पहला महिला मुख्यमंत्री". इशारा कल्पना सोरेन की तरफ था. साथ ही कानोकान यह चर्चा भी शुरु कर दी गई कि हेमंत सोरेन दिल्ली शिफ्ट हो सकते हैं. यह सारी बातों का कोई ठोस आधार अब तक सार्वजनिक नहीं है. लेकिन राज्य के ब्यूरोक्रेसी, कॉरपोरेट, राजनेता से लेकर मीडिया तक में कई तरह के समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं. राजनीतिक नफा-नुकसान पर खूब बातें हो रही हैं. संशय की स्थिति बन-बिगड़ रही है.
कैसे-कैसे कयास
- - झामुमो-भाजपा की सरकार बन सकती है.
- - भाजपा सरकार में शामिल नहीं होगी, कांग्रेस मुक्त सरकार होगी.
- - भाजपा के हिसाब से चलेंगे तो केंद्र से पैसे मिलने लगेंगे.
- - झारखंड में कांग्रेस पार्टी के विधायक टूट जाएंगे.
बहरहाल कल यानी बुधवार को हेमंत सोरेन रांची लौटेंगे. उम्मीद है रांची लौटने के बाद वह अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश करेंगे. ठंड का मौसम है, लेकिन झारखंड में राजनीतिक गर्मी बढ़ी हुई है. देखना यह है कि ठंड के इस मौसम में गर्मी और बढ़ेगी या अटकलें बर्फ की तरह पिघल जायेंगी.


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