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आम लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के सरकार के प्रयासों को अस्पताल प्रबंधक ही विफल करने में जुटे
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अगर सभी 25 एंबुलेंस चालू हालत में होती तो जिले के लोगों को निजी एंबुलेंस करने की आवश्यकता नहीं पड़ती
आम जनता के टैक्स से सरकार ने उपलब्ध कराई हैं एंबुलेंस
इस संबंध में शहर के सुरेंद्र कुमार, मनोज गुप्ता, गणेश कुमार सीटू ने बताया कि सरकार ने हजारीबाग को 18 एंबुलेंस की जगह नई और पुरानी मिलाकर 25 एंबुलेंस दी थी. लेकिन अस्पताल प्रबंधन और एंबुलेंस कंपनी की मिलीभगत से लोगों को 25 एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल रही है. पुरानी एंबुलेंस को कबाड़ी में फेंक दिया गया है. लोगों ने यह भी कहा कि कोई भी गाड़ी 20 से 25 साल तक सुरक्षित रहती है, लेकिन यहां सरकारी वाहनों कुछ ही वर्षों में धूल फांकने के लिए फेंक दिया है. अस्पताल के प्रबंधकों को यह समझना चाहिए कि उक्त एंबुलेंस सरकार के पैसे से नहीं खरीदी गई हैं, बल्कि यह सुविधा आम जनता की मेहनत की कमाई के पैसे उपलब्ध कराई गई है.एक दर्जन एंबुलेंस कराई हैं ठीक, पांच हैं खराब : सिविल सर्जन
इस संबंध में सिविल सर्जन सरजू प्रसाद ने बताया कि हजारीबाग में पहले 18 एंबुलेंस चलती थीं. 2023 में सात एंबुलेंस सरकार ने और उपलब्ध कराईं, कुल 25 एंबुलेंस अस्पताल में चल रही थीं. इनमें एक दर्जन एंबुलेंस खराब हो गई थी, जिनको बना लिया गया है. अभी पांच एंबुलेंस खराब हैं, जिनको जल्द बनाया जाएगा.
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