विधानसभा में विपक्ष का बदला तेवर: न हंगामा, न वेल में हंगामेबाजी – नई रणनीति या मजबूरी?
रोम से शुरू हुआ था चालिसा काल
बिशप हाउस के सचिव असीम मिंज ने बताया कि यह परंपरा 500-600 ईस्वी में रोम के पहले पोप संत पिता पैट्रस से शुरू हुई थी, जो आज पूरे कलिसिया में मनाई जाती है.इन चौदह घटनाओं पर होगा चिंतन और मनन
1. यीशु को प्राणदंड की आज्ञा मिलती है. 2. यीशु के कंधे पर क्रूस लादा जाता है. 3. यीशु पहली बार क्रूस के नीचे गिरते हैं. 4. यीशु और उनकी दुखी मां की भेट होती है. 5. सिरिनी सिमोन यीशु को क्रूस ढोने में सहायता देते हैं. 6. बेरोनिका यीशु का चेहरा पोछती हैं. 7. यीशु दूसरी बार गिरते हैं. 8. येरूसेलम की स्त्रियां यीशु के लिए रोती हैं. 9. यीशु तीसरी बार गिरते हैं. 10. यीशु के कपड़े उतारे जाते हैं. 11. यीशु क्रूस पर ठोके जाते हैं. 12. यीशु क्रूस पर मर जाते हैं. 13. यीशु को क्रूस से उतारा जाता है. 14. यीशु को कब्र में रखा जाता है. इसे भी पढ़ें -बाबूलाल">https://lagatar.in/babulal-took-a-dig-at-congress-rjd-and-cm-said-congress-never-listened-to-the-voice-of-the-people-of-jharkhand/">बाबूलालका कांग्रेस,RJD सहित CM पर कसा तंज, कहा – कांग्रेस ने कभी झारखंड वासियों की नहीं सुनी आवाज
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