Ranchi: स्थानीय निकायों का अनुदान बंद होने का कारण राज्य सरकार से पूछे. 16वें वित्त आयोग ने यह बात उस वक्त कही, जब स्थानीय निकायों को दो साल से पैसा नहीं मिलने का मामला उठाया गया. बैठक में पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अबुआ आवास निर्माण में बालू की कमी की शिकायत भी आयोग से की और बालू का अधिकार पंचायतों को देने की मांग की.
16वें वित्त आयोग के साथ स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों और राज्य वित्त आयोग की बैठक हुई. इसमें रांची जिला परिषद अध्यक्ष के अलावा कुछ प्रमुख और मुखिया शामिल हुए. बैठक में हजारीबाग, खूंटी, लोहरदगा, गुमला के शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित अधिकारी शामिल हुए. लेकिन बैठक में नगर विकास और पंचायती राज विभाग को कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था.
16वें वित्त आयोग के साथ हुई इस बैठक में अनुदान की राशि की प्रकृति में बदलाव की मांग की गयी है. 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित अनुदान की राशि में 60 प्रतिशत टाईड फंड और 40 प्रतिशत अनटाईड फंड है. अनटाईड फंड कम होने की वजह से विकास का काम प्रभावित होता है. जरूरत के हिसाब से नाली, सड़क आदि का निर्माण करना संभव नहीं होता है. बैठक में स्थानीय निकायों को पिछले दो साल से अनुदान नहीं मिलने की शिकायत की गयी. इस पर आयोग ने कहा कि आप अपने सरकार से पूछें कि पैसा क्यों नहीं मिल रहा है.
पंचायती राज संस्थाओं पर हुई चर्चा के दौरान रांची जिला परिषद अध्यक्ष की ओर से यह कहा गया कि विधायकों को विकास के लिए ज्यादा पैसा मिलता है. परिषद में नहीं मिलता है. इससे परेशानी होती है. विधायकों को पेंशन मिलता है, लेकिन जिला परिषद सदस्यों को नहीं मिलता है. दोनों ही चुने हुए प्रतिनिधि हैं. बैठक में एक मुखिया ने अबुआ आवास निर्माण के दौरान बालू की कमी की शिकायत भी 16वें वित्त आयोग से की और बालू पर पंचायतों को अधिकार देने की मांग की.
बैठक में राज्य वित्त आयोग की तरफ से रिपोर्ट पेश करने और विधानसभा में पेश किये जाने की जानकारी दी गयी. राज्य वित्त आयोग की ओर से यह जानकारी दी गयी कि आयोग ने राज्य के राजस्व में शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं को हिस्सेदारी देने की अनुशंसा की है. सरकार ने इसे लागू करने के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. समिति राज्य वित्त आयोग की अनुशंसाओं पर विचार करेगी. राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं को राज्य सरकार ने पैसा नहीं दिया है.