अपडेट: पूर्वी बिहार एवं विदर्भ में मौसम में परिवर्तन के कारण जमशेदपुर के आसमान में छाए बादल
30 जून को दिल्ली में होगा रैली का आयोजन
संताली राजभाषा रैली के लिए 30 अप्रैल को रांची चलो का नारा दिया गया. साथ ही सरना धर्म कोड के लिए 30 जून को दिल्ली चलो का भी नारा लगाया गया. दिशोम गुरु शिबू सोरेन और उनके अधिकांश समर्थक और गुरु गोमके रघुनाथ मुरमू और उनके भी अधिकांश समर्थक आदिवासी समाज के हासा-भाषा जाति, धर्म, इज्जत, आबादी, रोजगार, चास-बास आदि बचाने के लिए ना बोलते हैं, ना कुछ करते हैं. इस प्रकार आदिवासी समाज को अंधभक्ति में कमजोर कर रहे हैं.अधिकांश अगुवा समाज को कर रहे हैं कमजोर
आदिवासी (संताल) माझी-परगना स्वशासन व्यवस्था के अधिकांश अगुवा भी आदिवासी समाज को कमजोर कर रहे हैं। चूंकि ये भी जहां एक तरफ हासा-भाषा आदि की बात नहीं करते हैं और दूसरी तरफ गांव-समाज में व्याप्त नशापन, अंधविश्वास-डायन प्रथा, डंडोम, बारोन, ईर्ष्या द्वेष, हंड़िया, दारु, चखना, धोती साड़ी आदि में वोट खरीद-बिक्री आदि को दूर करने की जगह बढ़ाने का काम कर रहे हैं.आंदोलन में जनता का मिल रहा समर्थन
सालखन मुर्मू का कहना है कि आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से 5 प्रदेशों के 50 जिलों के लगभग 250 प्रखंडों में आदिवासी एकता, अधिकार और सुधार आंदोलन को आगे बढ़ा रहा है. जनता धीरे-धीरे इस आंदोलन में सहयोग कर रहे हैं. 19 फरवरी को झाड़ग्राम ज़िला, बंगाल के 7 प्रखंडों के कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण शिविर झाड़ग्राम में आयोजित किया गया था. 25 फरवरी को नीमडीह में चांडिल अनुमंडल के 4 प्रखंड के सेंगेल कार्यकर्ताओं का शिविर लगेगा.ये थे मौजूद
राजनगर के शिविर में नेताद्वय के अलावे शंखों टूडू, कालीपोदो टूडू, अम्पा हेंब्रोम, कल्याण हंसदा, वासुदेव मुर्मू, श्रीमोती हेंब्रोम, दुर्गा चरण टूडू, खेला मुर्मू, सुशांत टूडू, हरिया टूडू, पोदम टुडू, मंगल पाड़ेया, पलटन किस्कू आदि मौजूद थे. इसे भी पढ़ें: बिहारः">https://lagatar.in/bihar-congresss-challenge-to-rjd-tejashwi-will-not-be-able-to-become-chief-minister-in-2025-lagatar/">बिहारःकांग्रेस की RJD को चुनौती, नहीं बदला भाव तो 2025 में तेजस्वी नहीं बन सकेंगे मुख्यमंत्री [wpse_comments_template]

Leave a Comment