Ranchi: भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने नेता प्रतिपक्ष मामले में विधानसभा स्पीकर को कटघरे में खड़ा किया है. मरांडी ने कहा विधानसभा अध्यक्ष मुख्यमंत्री के इशारे पर मामले को लटकाए बैठे हैं. प्रदेश भाजपा ने अपने विधायक दल का नेता चयन कर विधानसभा सचिवालय को विधिसम्मत सूचना दी है. मरांडी ने कहा कि जहां तक जेवीएम का बीजेपी में विलय का सवाल है. चुनाव आयोग ने अपने निर्णय में सारी स्थित स्पष्ट कर दी है. चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसने विलय को मान्यता देते हुए दो बार उन्हें राज्यसभा चुनाव में भाजपा विधायक के रूप में मत देने का अधिकार दिया. फिर भी स्पीकर के द्वारा उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं देना राज्य सरकार के इशारे पर एक राजनीतिक साजिश है.
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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नहीं चाहती कि नेता प्रतिपक्ष की अनुशंसा से लोकायुक्त का चयन हो,सूचना आयुक्त का चयन हो. क्योंकि फिर राज्य सरकार की नाकामियां उजागर होंगी. लोकायुक्त के माध्यम से भ्रष्टाचार की जांच हो सकेगी. उन्होंने कहा कि भले ही राज्य सरकार तिकड़म से महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों को भरने से रोक दे लेकिन देश में कार्य कर रही अन्य संवैधानिक एजेंसियों की जांच से नहीं बच सकती.
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उन्होंने कहा कि आज राज्य सरकार पर जांच एजेंसियों का शिकंजा लगातार कसता ही जा रहा. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से बचाव के लिए राज्य सरकार कागजात तक गायब करवाने से बाज नहीं आ रही. राज्य के हालात ये हैं कि राज्य सरकार के मंत्रियों से नैतिकता गायब है.गरीबों की थाली से रोटी गायब है,बेरोजगारों के हाथों से रोजगार गायब है, और पूरी सरकार का ईमान गायब है. ऐसे में हेमंत सरकार से राज्य के विकास की उम्मीद नहीं की जा सकती.
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