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ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों पर हमले : हमारे लिए सबक और कुछ सीखने का वक्त !

ऑस्ट्रेलिया के कई शहरों में प्रवासियों, खास कर भारतीयों के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. ये प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के सिडनी, मेलबर्न, ब्रिस्बन और एडिलेड जैसे शहरों में हो रहे हैं. इसका नाम "मार्च फॉर आस्ट्रेलिया/March For Australia" दिया गया है. खबरों में बताया जा रहा है कि इन प्रदर्शनों में भारतीयों पर हमले भी हुए हैं.

 

मार्च फॉर आस्ट्रेलिया में शामिल प्रदर्शनकारियों को नव नाजीवादी कहा जा रहा है. उनका कहना है कि पिछले 10 सालों में 9 लाख भारतीय ऑस्ट्रेलिया में आये हैं. ये लोग उनके रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी सुविधाओं पर बोझ बन गए हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जितने भारतीय पांच सालों में ऑस्ट्रेलिया आए हैं, उतने यूनानी 100 साल में भी उनके देश में नहीं पहुंचे. 

 

ऑस्ट्रेलिया सरकार क्या कर रहा

ऑस्ट्रेलिया सरकार और सरकार के अधिकारियों ने नव नाजीवादियों के प्रदर्शनों की निंदा की है. इसे नस्लीय घृणा फैलाने वाला बताया है. मंत्री मरे वॉट और टोनी बर्क ने सार्वजनिक रुप से कहा है कि प्रवासियों को सम्मान व सुरक्षा देने के लिए वह प्रतिबद्ध हैं. उनके समाज में वैमनस्य व विभाजनकारी लोगों का कोई स्थान नहीं है. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोज में ऑस्ट्रेलियन पुलिस द्वारा ऐसे नाजीवादियों पर कार्रवाई करते देखा जा सकता है.

 

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

मेलबर्न में भारतीय दूतावास पर हमले के बाद भारत सरकार ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार से तत्काल कार्रवाई व सुरक्षा की मांग की है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने बयानों में कहा है कि ऑस्ट्रेलिया समेत वैसे सभी देशों की सरकार से संपर्क बनाए हुए है, जहां चरमपंथी व नस्लवादी घटनाओं के कारण भारतीयों पर निशाना बनाया जा रहा है. 

 

अब बात भारत की

पिछले कुछ सालों में हमारे यहां भी एक बड़ा समूह आक्रामक तरीके से दूसरे देश के लोगों के खिलाफ बोल रहे हैं. धर्म के नाम पर हमले बढ़े हैं. कई बार सरकार व सरकार के लोग ऐसे लोगों के पक्ष में खड़े दिखते हैं. प्रधानमंत्री समेत अन्य नेता घुसपैठिया शब्द का इस्तेमाल करते हैं.

 

 

दोनों देशों में ऐसे लोग यह मानते हैं कि बाहर से आये लोग ही उनकी हर समस्या के लिए जिम्मेदार हैं. बाहर से आये लोग उनके संसाधनों पर बोझ बन गए हैं. ऐसा सोचने वालों की संख्या पूरी दुनिया में बढ़ रही है. कई देशों की सरकारें ऐसी घटनाओं और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करती है, जबकि कुछ देशों में इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है. 

 


ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हमें ऑस्ट्रेलिया की सरकार से यह नहीं सीखना चाहिए कि किसी खास धर्म, देश और दूसरे भौगिलक क्षेत्र से आये लोगों के प्रति किस तरह सम्मान और सुरक्षा की बात की जानी चाहिए. ना कि ऑस्ट्रेलिया के कुछ नव नाजीवादियों की तरह उन पर हमले किये जाने चाहिए.

 

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि हमारे देश में जो चल रहा है, उसे देखते हुए हमारी सरकार में नैतिक ताकत है कि वह कह सके कि नस्लीय हमले बंद हो.

 

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