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सावधान! जहरीला है झारखंड में बोरिंग-चापाकल का 80 फीसदी पानी

Amit singh Ranchi : जीवन के लिए साफ हवा और शुद्ध पानी सबसे जरूरी घटक हैं. हमारे शरीर में लगभग 60 फीसदी जल होता है. अगर यही पानी केमिकल मिला और जहरीला हो तो मानव जीवन के साथ पशु-पक्षी और वनस्पतियों के लिए भी घातक हो सकता है, लेकिन विडंबना है कि झारखंड में बोरिंग और चापाकल पर निर्भर करनेवाली 80 प्रतिशत आबादी रसायनयुक्त जहरीला पानी पीने को मजबूर है. प्रदेश के 24 में से 15 जिलों के लोग नाइट्रेट, फ्लोराइड, आयरन जैसे रसायनों से युक्त पानी का सेवन करते हैं. इससे उनमें तरह-तरह की बीमारी भी हो रही है. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड और भूगर्भ जल निदेशालय के अनुसार ग्राउंड वाटर में खतरनाक रसायनों का प्रतिशत बढ़ रहा है, जिस कारण पीने के पानी के साथ कृषि उत्पादों में भी जहरीले तत्वों की मात्रा निर्धारित पैमाने से ज्यादा पायी जा रही है. शरीर के अंदर विभिन्न माध्यमों से खतरनाक रसायनों के जाने से पेट संबंधी बीमारियों से साथ-साथ कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो रही है. इसे भी पढ़ें- प्रसिद्ध">https://lagatar.in/famous-film-actor-rajinikanth-admitted-to-apollo-hospital-in-hyderabad-complaining-of-fluctuations-in-blood-pressure/12486/">प्रसिद्ध

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ग्राउंड वाटर प्रदूषण नियंत्रित नहीं हुआ, गंभीर परिणाम होगा

भूगर्भ जल विशेषज्ञ डॉ एसएलएस जागेश्वर का कहना है कि ग्राउंड वाटर में फ्लोराइड और आर्सेनिक सहित कई रसायनों की मात्रा खतरनाक स्तर को भी पार कर चुकी है. ग्राउंड वाटर के स्तर में लगातार गिरावट तथा प्राकृतिक बनावट की वजह से खतरनाक रसायनों की मात्रा में बढोत्तरी हो रही है. इन रसायनों से हड्डी व मांसपेशियों के साथ स्नायुतंत्र को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है. अगर भूजल के बढते प्रदूषण को नियंत्रण नहीं किया गया, तो भविष्य में हालात काबू से बाहर हो जायेंगे. इसे भी पढ़ें- झारखंड">https://lagatar.in/mercury-will-fall-further-in-jharkhand-cold-clouds-will-run-soon/12478/">झारखंड

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रांची में 15 मीटर नीचे गया पानी, आयरन की मात्रा बढ़ी

प्रदेश की राजधानी रांची भी ग्राउंड वाटर प्रदूषण से अछूती नहीं है. रांची के जल स्तरे में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है. झारखंड बनने से लेकर अबतक रांची का जल स्तर औसतन 15 मीटर नीचे चला गया है. शहर के कांके और हरमू क्षेत्र में भूगर्भ जल के स्तर में 18 मिटर तक की गिरावट दर्ज हुई है. गोड्डा जिले के बडहरवा का जल स्तर सबसे ज्यादा 52 फीट तक नीचे चला गया है. देश में ग्राउंड वाटर की उपलब्धता 5200 क्यूबिक मीटर से घटकर करीब 1200 क्यूबिक मीटर रह गया है. जिस वजह से जमीन के अंदर का पानी धीरे-धीरे मीठे जहर में तब्दील होता जा रहा है. आयरन की मात्रा तो रांची सहित सूबे के करीब सभी जिलों में जरूरत से ज्यादा पाई जा रही है.

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क्वालिटी का पता लगाते हैं 750 मॉनिटरिंग स्टेशन

भूगर्भ जल निदेशक और सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड समय-समय पर ग्राउंड वाटर लेबल, ग्राउंड वाटर में मौजूद रसायनों की जांच करता रहता है. इसके लिए बोर्ड और निदेशालय डीपबोर, कुंआ आदि की मॉनिटरिंग करता है. इन मॉनिटरिंग स्टेशनों की संख्या 750 से भी ज्यादा है. भूगर्भ जल निदेशालय ने पिछले दिनों प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्रखंडों में भूगर्भ जल स्रोतों की जांच करायी. बोकारो, सिमडेगा, साहेबगंज, दुमका, धनबाद, हजारीबाग, चतरा और गढ़वा जिले में फ्लोराइड और आर्सेनिक की मात्रा मानक से काफी अधिक पायी गयी. इसे भी पढ़ें-  नये">https://lagatar.in/these-rules-will-change-in-the-new-year-know-what-will-be-the-effect-on-you/12418/">नये

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जानें कितने खतरनाक हैं पानी में घुले केमिकल

फ्लोराइड : दांतो को कमजोर कर दंत क्षरण, जोड़ों में अकडऩ, हड्डियों में मुड़ाव की समस्या पैदा करता है. क्लोराइड : सोडियम के साथ मिल जाये तो उच्च रक्तचाप पैदा करता है. बोरोन : स्नायु तंत्र पर बुरा प्रभाव डालता है. सोडियम : हार्ट और किडनी को नुकसान पहुंचाता है. ब्लड सर्कुलेशन पर असर. लेड (सीसा) : बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास रोकता है. वयस्कों में गुर्दे का रोग हो सकता है. आयरन : लौह जीवाणु से आमाशय संबंधी रोग और गैस्ट्रिक की समस्या. सल्फेट : मैग्नीशियम के साथ मिलकर दस्ता-वर रोग उत्पन्न करता है. आर्सेनिक : त्वचा रोग और कैंसर का कारण है. कैल्शियम : जोड़ों में कड़ापन लाता है. नाइट्रेट : नवजात शिशु में ‘ब्लू बेबी’ बीमारी (मैथमोग्लोबिनियमिया)

प्रदेश में आयरन प्रभावित क्षेत्र

स्थान मात्रा
जरमुंडी,दुमका 3.90
बाघमारा, धनबाद 3.10
इटखोरी, चतरा 3.20
चास, बोकारो 22.08
कोलेबिरा,सिमडेगा 19.90
तलगरिया, बोकारो 14.50
बेल-गुमा, दुमका 6.90
पिट-जी, चतरा 3.89
ठेठईटांगर, सिमडेगा 8.09
बनधीजिया,गढ़वा 25.80
काठीकुंड, दुमका 5.25
डूडोकोई, सिंहभूम 4.90
भंडरिया, गढ़वा 3.14
बंधारो, दुमका 2.93
 

 फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्र

स्थान    मात्रा
प्रतापपुर, चतरा 2.90
टंडवा, चतरा 2.20
चास, बोकारो 2.60
धरमपुर, पाकुड़ 1.70
मोहना-हार गढ़वा 7.90
सनकारपुर, चतरा 2.55
टोला प्र., गढ़वा 5.94
आई-टीडीपी, गढ़वा 2.25
जी-टोला, प्रतापपुर 5.25
दसानी, भंडरिया 1.59
(नोट : भू-गर्भ जल का स्तर मीटर में और पानी में घुले तत्वों का पैमाना पीपीएम में है.)  
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