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लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Lagatar desk : आज पूरे देश में दीपों का पर्व दिवाली बड़े उल्लास और आस्था के साथ मनाया जा रहा है. यह दिन सकारात्मक ऊर्जा, नवीन शुरुआत और आर्थिक समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. दिवाली की रात, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व होता है.

 

 

क्यों खास है दिवाली की रात की पूजा?

ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी-गणेश की पूजा न केवल धन, सुख और ऐश्वर्य प्रदान करती है, बल्कि जीवन में शांति और मानसिक संतुलन भी लाती है. इस पूजा को करने का सबसे शुभ समय होता है  निशिता काल, जिसे दिवाली की रात का सबसे शक्तिशाली और प्रभावी समय माना जाता है.

 

 

क्या होता है निशिता काल?

निशिता काल रात के मध्य का वह विशेष समय होता है, जब दिन और रात के बीच की ऊर्जा सबसे अधिक संतुलित और शक्तिशाली होती है. ज्योतिष और तांत्रिक शास्त्रों में इसे पवित्र और सिद्धि प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ काल कहा गया है.इस समय किए गए मंत्र जाप, ध्यान, और पूजा से न केवल भौतिक लाभ मिलता है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति भी संभव होती है.

 

 

लक्ष्मी-गणेश पूजा का निशिता काल मुहूर्त (2025)

प्रदोष काल: शाम 05:46 से 08:18 बजे तक
वृषभ काल: शाम 07:08 से 09:03 बजे तक
निशिता काल मुहूर्त: रात 11:46 बजे से 12:36 बजे तक

पूजा विधि: इस समय के दौरान मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, और कुबेर देव की विधिपूर्वक पूजा करें. दीप जलाएं, मंत्रोच्चार करें और धन-धान्य की कामना करें.

 

इस समय की पूजा क्यों है विशेष?

इस काल में की गई पूजा घर में स्थायी लक्ष्मी का वास कराती है.

जीवन से दरिद्रता, क्लेश और मानसिक तनाव दूर होते हैं.

यह समय तांत्रिक रूप से सिद्ध काल माना गया है, जिससे पूजा का प्रभाव कई गुना अधिक हो जाता है.

इस दिवाली, सही समय पर की गई पूजा से अपने जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और सुख का दीप जलाएं.

 

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