Giridih: गिरिडीह (Giridih) दुनिया भर में लोगों का रुझान जब आयुर्वेदिक, यूनानी व होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की ओर बढ़ रहा है तो गिरिडीह में नीति नियंताओं की बेरुखी के कारण यह सेवा दम तोड़ रही है. गिरिडीह में आयुष चिकित्सा बुरे दौर से गुजर रही है. 31 दिसंबर 2020 के बाद यहां आयुष चिकित्सा की किसी पद्धति में चिकित्सक नहीं है. फिलहाल धनबाद की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ निर्मला सिन्हा गिरिडीह की प्रभारी हैं. परंतु यहां उनका आना कम ही होता है. सदर अस्पताल स्थित आयुष औषधालय गत 1 साल से चिकित्सक विहीन है.
साल भर से किसी की पदस्थापना नहीं
आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रभारी डॉ मुरारी दास के दिसंबर 2020 में अवकाश ग्रहण के बाद गिरिडीह में किसी की पदस्थापना नहीं हुई है. आयुष औषधालय में सालों से यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सक पदस्थापित नहीं है. नौबत यहां तक आ पहुंची है कि आयुर्वेदिक ,यूनानी और होम्योपैथी ओपीडी में ताला लटक रहा है. मुख्यालय की जैसी स्थिति ही जिला के गोरहन, खरगडीहा और सरिया संयुक्त औषधालय की है.
कर्मियों का भी टोटा
कर्मियों के मामले में भी विभाग का हाल एक जैसा है.. जनवरी 2021 में प्रधान लिपिक दिलीप कुमार सिन्हा के अवकाश ग्रहण के बाद आयुष केंद्र मात्र 2 कर्मियों के भरोसे है. भंडार पाल कृष्ण मुरारी राय व रात्रि प्रहरी जागेश्वर राम के भरोसे यहां की व्यवस्था है. विदित हो कि एलोपैथिक चिकित्सकों की कमी और सरकारी सेवा में घटते रुझान को देखते हुए सरकार ने सीएचसी और पीएचसी में आयुष चिकित्सकों की पदस्थापना का निर्णय लिया है. यहां मुख्यालयों का भी हाल बुरा है. बताया गया कि आयुष चिकित्सालय में कभी रोजाना 40 से 50 मरीज इलाज कराने आते थे, पर अभी उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं. सभी पद्धति के चिकित्सा केंद्र पर फिलहाल ताला लटक रहा है.
कहां-कहां का प्रभार संभालें : डॉ निर्मला
होम्योपैथी चिकित्सा प्रभारी डॉ निर्मला सिन्हा ने संपर्क करने पर कहा कि कहां कहां का प्रभार संभालें. उन्होंने कहा कि धनबाद केंद्र की जिम्मेदारी के अलावा यहां दो-दो डिस्पेंसरी संभालनी पड़ती है. ऐसी स्थिति में कब और कैसे गिरिडीह जाएं. कहा कि ड्यूटी तो गिरिडीह में 3 दिनों की है, पर समय का अभाव होने के कारण 1 दिन भी नहीं जा पाती हूं.
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