Jamshedpur : बालपंजी निर्माण के लिए विद्यालय पोषक क्षेत्र के अंतर्गत सभी घरों का डोर-टू-डोर जाकर सर्वे करने का अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ (अझाप्राशिस) ने कड़ा विरोध किया है. संघ ने इसे कोरोना का संक्रमण और अधिक बढ़ाने वाला कार्य बताया है. अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के वरीय शिक्षक प्रतिनिधि सुनील कुमार ने बताया कि वर्तमान में कोरोना का संक्रमण तेजी फैल रहा है. ऐसे में इस तरह के कार्य पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है. संघ ने सवाल किया है कि यदि उस सर्वे के दौरान शिक्षक संक्रमित हो जाते हैं, तो इसका जिम्मेवार कौन होगा? जिले के शिक्षकों ने उक्त सर्वे कार्य पर चुप्पी साधते हुए मौखिक रूप से विरोध करना भी शुरू कर दिया है. इसी तरह की प्रतिक्रिया प्रदेश प्रवक्ता संजय कुमार, प्रदेश संगठन मंत्री अनिल प्रसाद, पूर्वी सिंहभूम जिला अध्यक्ष सुनील कुमार यादव, जिला महासचिव सरोज कुमार लेंका ने दिया है.
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ज्ञात हो कि राज्य परियोजना निदेशक, झारखंड शिक्षा परियोजना, रांची द्वारा बालपंजी निर्माण के लिए सभी शिक्षकों को घर-घर जाकर सर्वे करने का निर्देश दिया गया है. इस सर्वे में बच्चों के माता-पिता सहित 6 से 18 आयु वर्ग के सभी बच्चों का विभिन्न बिंदुओं पर सर्वे किया जाना है. इसके साथ ही सर्वे के बाद विभिन्न बिंदुओं पर प्राप्त डाटा को शिक्षक द्वारा अपने मोबाइल में ‘डहर’ ऐप डाउनलोड कर उक्त ऐप में ऑनलाइन इंट्री करना है.
अपने खर्च पर डाटा इंट्री का आदेश अव्यावहारिक
संघ ने कहा कि वर्तमान में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के तेजी से बढ़ते संक्रमण और प्रतिदिन लोगों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर उक्त सर्वे कार्य से शिक्षकों और अन्य लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है. सर्वे के दौरान संक्रमण फैलने के डर से क्षेत्र के निवासियों के असहयोग या कोपभाजन का भी शिकार शिक्षकों को होना पड़ सकता है. कोरोना संक्रमण के कारण वर्तमान में जिला प्रशासन द्वारा भी अधिकांश शिक्षकों को विभिन्न कंटेनमेंट जोन, वैक्सीनेशन कार्य, जिला नियंत्रण कक्ष, कोरोना जांच आदि कार्य में प्रतिनियुक्त किया गया है. कई विद्यालय तो एकमात्र शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. ऐसी स्थिति में जब तक सभी शिक्षकों को उक्त कार्य से मुक्त नहीं किया जाता, तब तक बालपंजी कार्य संभव नहीं है. साथ ही बाल पंजी सर्वे कार्य के उपरांत प्राप्त डाटा को अपने निजी मोबाइल में डहर एप डाउनलोड कर अपने इंटरनेट खर्च पर सभी डाटा की इंट्री करने का आदेश देना अव्यावहारिक है. विभाग को उक्त सर्वे कार्य संबंधी आदेश जारी करने के पूर्व शिक्षकों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए था. ऊपर से समय सीमा के अंदर सर्वे कार्य नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई संबंधी निर्देश का भी संघ ने कड़ा विरोध किया है.
आउट ऑफ स्कूल एवं ड्रॉप आउट बच्चों का किया जाना है सर्वे
चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए शिशु पंजी को अपडेट करने के लिए आउट ऑफ स्कूल एवं ड्रॉप आउट बच्चों का सर्वे किया जाना है. इसके लिए विभाग ने ऐसे बच्चों की अलग-अलग आयु निर्धारित की है. 6-14 आयु वर्ग के बच्चों में से 7 प्लस और 14 से कम आयु वर्ग का कोई भी बच्चा जिसका नामांकन विद्यालय में नहीं हो पाया है. वैसे बच्चे आउट ऑफ स्कूल की श्रेणी में आएंगे. इसी तरह 6 प्लस और 7 वर्ष से कम आयु के वैसे बच्चे जिनका नामांकन किसी विद्यालय में नहीं हुआ है, फिर भी वे आउट ऑफ स्कूल की श्रेणी में नहीं आएंगे. क्योंकि उक्त आयु वर्ग के बच्चे प्राथमिक कक्षाओं में नामांकन के योग्य हैं. इन बच्चों का भी सर्वे किया जाना है. इसी तरह 7 से 10 आयु वर्ग के बच्चा नामांकन के बाद विद्यालय नहीं जा रहा है, तो वह ड्रॉप आउट के श्रेणी में होगा. चाहे वह किसी भी सुविधा जैसे पोशाक, पाठ्यपुस्तक, विद्यालय किट प्राप्त नहीं किया हो. अथवा सरकारी या गैर सरकार स्कूल में ऑनलाइन कक्षा से जुड़ा हो, अथवा उक्त बच्चा सरकार द्वारा चलाए जा रहे ऑनलाइन पाठ्यक्रम डिजिसाथ या डिजि स्कूल कार्यक्रम लगातार पिछले 30 दिनों से जुड़ा हुआ नहीं हो.
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