Search

कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए देर रात निकलेगी बाबा की बारात

Dumka: महाशिवरात्रि के खास मौके पर दुमका के विश्वप्रसिद्ध बासुकीनाथ मंदिर में आस्था का महासमुद्र उमड़ पड़ा है. गुरुवार को बासुकीनाथ में हजारों भक्तों ने पूजा अर्चना की. शिवभक्त लौकिक और विहंगम शिव विवाह का हिस्सा बनने के लिए बासुकीनाथ पहुंचे हैं. दिन भर भक्तों की पूजा-अर्चना चलेगी. इसके बाद वैवाहिक अनुष्ठान संपन्न कराया जायेगा. इसे भी पढ़ें: आज">https://lagatar.in/shivajis-grand-procession-will-come-out-todaya-crowd-of-devotees-gathered-at-the-pagoda/36217/">आज

निकलेगी शिवजी की भव्य शोभायात्रा, शिवालयों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

इस बार नहीं निकलेगी बाबा की भव्य बारात

इस बार कोरोना को देखते हुए जिला प्रशासन ने मेला लगाने और बाबा की भव्य बारात निकलने की अनुमति नहीं दी है. लेकिन जिला प्रशासन ने भक्तों के आस्था को देखते हुए स्पर्श पूजा और परंपरागत तरीके से विवाह करने की अनुमति दी है. पालकी में बाबा की बारात निकाली जायेगी.

देर रात निकलेगी बाबा की बारात

आज देर रात के बाबा बासुकिनाथ की बारात पूर्वी दरवाजे से पालकी में निकलेगी. इस बार महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव की बारात को साधारण तरीके से निकाला जायेगा. वैसे तो हर साल बनारस से शहनाईवादक और दर्जनों बैंड पार्टियों के साथ भगवान शिव की बारात निकलती थी. इसमें भूत-प्रेत और देवी-देवताओं की झांकियों के बीच हाथी पर बासुकिनाथ का पंचशूल दूल्हे के रूप में नजर आते थे. इनके पीछे श्रद्धाभाव से नतमस्तक और बाबा की मस्ती में झूमते लाखों शिवभक्त  बारात में शामिल होते थे. इसे भी पढ़ें: आज">https://lagatar.in/todays-horoscope-sagittarius-zodiacs-will-have-to-work-hard/36153/">आज

का राशिफल : धनु राशि के जातकों को करनी होगी कड़ी मेहनत

शिवरात्रि के एक दिन बाद होती है घूंघट की रस्म

पंडा धर्म रक्षिणी सभा के अध्यक्ष मनोज पंडा ने बताया कि बासुकीनाथ मंदिर में शिवरात्रि के दिन एक खास रस्म होती है. इस रस्म का नाम घूंघट है. यह रस्म शायद ही भारत के किसी शिवमंदिर में कहीं होती होगी. यह रस्म शिव विवाह के एक दिन बाद होती है. इसमें पुन: बाबा भोलेनाथ को पालकी में विराजमान कर के पूरे नगर में भ्रमण कराया जाता है. भ्रमण के बाद बाबा को मंदिर के प्रांगण में लाकर घूंघट की रस्म को संपन्न किया जाता है. इसी दिन से बाबा को अबीर और गुलाल से जागृत किया जाता है. और उसी दिन से वहां होली की परंपरा शुरू हो जाती है.

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp