- 60 किमी की दूरी में बालू की कीमत में नौ गुना इजाफा हो जाता
- सिल्ली, बुंडू और सोनाहातू के घाट से निकलने पर बालू की कीमत लगभग 5,000 रुपये होती
- रांची पहुंचते-पहुंचते कीमत 45,000 के पार चली जाती
Ranchi : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य में बालू की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने लिखा कि राज्य में बालू के लिए हाहाकार मचा हुआ है और आम जनता की जेब से मनमानी कीमत वसूली जा रही है.
मरांडी ने बताया कि रांची में निर्माण कार्य के लिए इस्तेमाल होने वाला बालू मुख्यत सिल्ली, बुंडू और सोनाहातू से लाया जाता है. बालू घाट से निकलने पर इसकी कीमत लगभग 5,000 रुपये होती है. लेकिन रांची पहुंचते-पहुंचते कीमत 45,000 के पार चली जाती है.
बाबूलाल ने इस 60 किमी की दूरी में बालू की कीमत में नौ गुना इजाफे को एक संगठित अवैध कारोबार का नतीजा बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि इस अवैध कारोबार में मुख्यमंत्री, खनन माफिया, ट्रांसपोर्टर, अधिकारी और दलालों का गठजोड़ शामिल है.
बालू घाट पर अवैध एंट्री, परिवहन के दौरान अवैध पासिंग और ब्लैक मार्केटिंग के माध्यम से भारी रकम वसूली जा रही है. झारखंड में लगभग 440 बालू घाटों में से केवल 31 कानूनी रूप से संचालित हैं, जिसके कारण आम आदमी को महंगे दामों पर बालू खरीदना पड़ रहा है.
मरांडी ने इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) से अपील की है कि वे झारखंड में चल रहे हजारों करोड़ के अवैध बालू कारोबार तंत्र को ध्वस्त करें, ताकि आम जनता को सस्ती कीमत पर पर्याप्त बालू उपलब्ध हो सके और राजस्व के नुकसान को कम किया जा सके.
राज्य में बालू के लिए हाहाकार मचा हुआ है। बालू के लिए आम जनता की जेब से मनमानी कीमत वसूली जा रही है।
रांची में निर्माण कार्य के लिए इस्तेमाल होने वाला बालू प्रायः सिल्ली, बुंडू और सोनाहातू से लाया जाता है। जब बालू घाट से निकलता है तो उसकी कीमत लगभग ₹5,000 होती है, लेकिन रांची…
— Babulal Marandi (@yourBabulal) March 28, 2025