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बड़गाईं अंचल का बदहाल सिस्टम: CO शिव शंकर पांडेय के कमरे का दरवाजा बंद, जनता घंटों इंतजार में!

Manish Bhardwaj Ranchi: राजधानी के बड़गाईं अंचल कार्यालय का हाल इस समय बेहद चिंताजनक और प्रशासनिक शिथिलता का आइना बन गया है. जहां एक ओर सरकार समय पर कार्यालय उपस्थिति को लेकर आदेश पारित कर रही है. वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. इसे भी पढ़ें -भीषण">https://lagatar.in/womens-anger-erupted-over-water-shortage-in-scorching-heat-blocked-nh-75-in-chakradharpur/">भीषण

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CO शिव शंकर पांडेय कमरे में लेकिन जनता बाहर! सोमवार को बड़गाईं अंचल कार्यालय में आम जनता सुबह से अपनी समस्याएं लेकर पहुंची, लेकिन उन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया. CO शिव शंकर पांडेय कार्यालय में मौजूद थे, मगर दरवाज़ा बंद. जब लोगों ने अंदर जाने की कोशिश की तो कहा गया, 10 मिनट इंतजार कीजिए. यह 10 मिनट, घंटों में बदल गया. कई लोग तो निराश होकर वापस लौट गए. जब पत्रकारों ने स्थिति की पड़ताल की और अंदर जाने की कोशिश की, तो उन्हें भी वही जवाब मिला – थोड़ा इंतज़ार कीजिए. 30 मिनट के बाद जब नाजिर से कहा गया कि लोगों को अंदर बुलाने की गुजारिश करें, तो CO पांडेय का जवाब आया – अभी मेरे रिश्तेदार बैठे हैं, उन्हें समय दे रहा हूं, बाहर वालों को और इंतज़ार करने को कहिए. प्रशासन की प्राथमिकता क्या होनी चाहिए – जनता की सेवा या निजी संबंधों की मेजबानी? https://lagatar.in/wp-content/uploads/2025/04/ci.jpg"

alt="jkkjb" width="600" height="400" /> CI साहब का पता नहीं, समय हो गया 12:30 PM CO साहब के बाद नजर गई CI साहब के कार्यालय की ओर, तो वहां कुर्सियां खाली पड़ी थीं. जनता दोपहर के 12:30 बजने के बाद भी CI साहब का इंतज़ार करती रही, लेकिन जवाब मिला – CI साहब अभी तक आए ही नहीं हैं. एक CO, दो अंचल – और दोनों बेहाल गौरतलब है कि यही CO शिव शंकर पांडेय सदर अंचल के भी प्रभारी हैं. वहां भी स्थिति कुछ अलग नहीं – आम लोगों को उनसे मिलने के लिए दोपहर 3 बजे के बाद ही समय मिल पाता है. जब एक अधिकारी दो-दो अंचलों का कार्यभार संभाल रहा हो और दोनों ही जगहों पर जवाबदेही का स्तर इतना निम्न हो, तो प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठना लाजिमी है. जनता पूछ रही है – कब सुनी जाएगी उनकी? बड़गाईं अंचल की यह स्थिति केवल एक उदाहरण है, मगर यह व्यापक प्रशासनिक गिरावट का संकेत देती है. सवाल उठता है – क्या ऐसे हालात में आम जनता की समस्याओं का समाधान हो पाएगा? प्रशासन को चाहिए कि ऐसे अधिकारियों के कार्य व्यवहार की समीक्षा करे और जनता के प्रति उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करे. वरना जनता दरबार महज एक दिखावा बनकर रह जाएगा. इसे भी पढ़ें -अपराध">https://lagatar.in/jharkhands-cities-have-become-a-stronghold-of-crime-police-is-busy-in-illegal-recovery-from-vehicles-carrying-coal-and-sand-babulal/">अपराध

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