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वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़ सकता है भारतीय बैंकों पर बैड लोन का दबाव : फिच रिपोर्ट

LagatarDesk : ग्‍लोबल">https://www.fitchratings.com/">ग्‍लोबल

रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्‍स ने अपनी रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय बैंकिंग सिस्टम में बैड लोन का दबाव बढ़ सकता है. इसके साथ ही बैंकों का कर्ज लागत से जुड़ी मुश्किलें बढ़ने का अनुमान है. कोरोना महामारी के कारण भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में बुरा प्रभाव पड़ा है. अर्थव्यवस्था में सुधार करने के लिए Easy Money Policy पर शुरू किया गया. इस पॉलिसी का असर अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है. लॉकडाउन के कारण फाइनेंशियल सेक्टर को पिछले साल काफी नुकसान हुआ है. इसे भी पढ़े : Aly">https://lagatar.in/aly-goni-and-jasmin-bhasin-shared-screen-for-the-first-timenew-video-song-released/35347/">Aly

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बैंकों की बैलेंस शीट पर जल्‍द दिखने लगेगा दबाव

फिच रेटिंग्‍स की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल में आये तिमाही नतीजों से पता चलता है कि फाइनेंशियल सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के मुनाफे और एसेट क्वालिटी में कुछ सुधार हुआ है. कोरोना महामारी की वजह से फाइनेंशियल सेक्टर पर काफी दबाव पड़ा है. लेकिन हाल में आये सुधार के कारण यह दबाव शुरुआत तक रह सकता है. इसे भी पढ़े :कोलकाता">https://lagatar.in/kolkata-9-people-killed-in-a-fire-in-the-new-kolaghat-building/35339/">कोलकाता

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बैंको पर पूरी तरह कोरोना का असर नहीं पड़ा  

कोरोना महामारी के कारण छोटे कारोबारियों पर भी बुरा असर पड़ा है. इसके साथ ही देश में बढ़ी बेरोजगारी भी बढ़ी है. इन सभी का बैंकों पर प्रभाव देखने को मिल सकता है. असंगठित अर्थव्‍यवस्‍था पर पड़े कोरोना महामारी के असर, उच्च बेरोजगारी दर और घटते निजी उपभोग का बैंकों की बैलेंसशीट पर असली प्रभाव अभी पूरी तरह देखने को नहीं मिला है. जल्‍द इसका पूरा असर देखने को मिलेगा. इसे भी पढ़े :कोलकाता">https://lagatar.in/kolkata-9-people-killed-in-a-fire-in-the-new-kolaghat-building/35339/">कोलकाता

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कई सेक्‍टर कर रहे क्षमता से कम स्‍तर पर काम

रेटिंग एजेंसी का कहना है कि तीसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार देखने को मिला है. लेकिन अब भी कई सेक्टर क्षमता से कम स्तर पर काम कर रहे हैं. इकोनॉमी के कुछ इंडीकेटर रिटेल कस्टमर पर दबाव का संकेत दे रहे हैं. रिटेल सेक्‍टर के साथ ही मुश्किल से गुजर रहे छोटे-मझोले उद्योगों (SMEs) को कर्ज देने के दबाव के कारण बैंकों की एसेट क्वालिटी पर दबाव बढ़ सकता है. RBI  ने भी जनवरी 2021 में चेतावनी दी थी कि सबसे ज्यादा दबाव वाली स्थिति में भारतीय बैंकिंग सिस्टम का बैड लोन दोगुना यानी 14.8 फीसदी हो सकता है. इसे भी पढ़े :मरीज">https://lagatar.in/uproar-in-satyam-hospital-after-the-death-of-the-patient-family-members-accused-of-negligence/35342/">मरीज

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प्राइवेट बैंकों से ज्‍यादा खतरे में हैं सरकारी बैंक

फिच ने कहा है कि सीमित बफर की वजह से सरकारी बैंक कोरोना से जुड़े दबाव का ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है. वहीं प्राइवेट बैंक को उतना खतरा नहीं है. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में सरकारी बैंकों में 5.5 अरब डॉलर डालने का सरकार का फैसला पर्याप्त नहीं है. फिच का अनुमान है कि बैंकिंग सेक्टर को दबाव से उबारने के लिए 15 से 58 अरब डॉलर की की आवश्यकता होगी. साथ ही कहा कि वित्त वर्ष 2021 में सरकारी बैंकों की तुलना में निजी बैंकों में ज्यादा बेहतर ग्रोथ देखने को मिलेगी. इसे भी पढ़े :आज">https://lagatar.in/todays-horoscope-tuesday-9-march-2021-aries-people-will-get-respect/35337/">आज

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