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बहरागोड़ा : अस्तित्व खो रहा है नेताजी सुभाष शिशु उद्यान, चहारदीवारी टूटी, पेड़-पौधे सूखे

Bahragora : बहरागोड़ा की धरोहर नेताजी सुभाष शिशु उद्यान देखरेख के अभाव में धीरे- धीरे अपना अस्तित्व खो रहा है. इस उद्यान को पूर्वी सिंहभूम ग्रामीण जिला में सबसे सुसज्जित उद्यान माना जाता था. ग्रामीण विकास मेला कमेटी के तत्वावधान में नेताजी सुभाष जयंती के अवसर पर आयोजित होने वाला ग्रामीण विकास मेला कला, संस्कृति और कृषि के विकास में सहायक रहा है. इस उद्यान में 25 वर्ष तक ग्रामीण विकास मेला आयोजित हुआ. पिछले तीन साल से किसी कारण से मेला का आयोजन नहीं किया जा रहा है. विभिन्न प्रकार के पेड़, पौधों और फूलों के पौधों से सुसज्जित यह पार्क अब धीरे-धीरे वीरान होता जा रहा है. कई जगहों पर चहारदीवारी टूट गई है. परिसर में निर्मित खूबसूरत तालाब टूट गया है. अब तालाब सूख भी गया है. उसमें पानी नहीं है. उद्यान परिसर में गंदगी का अंबार है. उद्यान परिसर में स्थापित महापुरुषों की मूर्तियां भी उपेक्षित हैं. अब इसकी उचित देखरेख नहीं हो रही है. अगर इस उद्यान की उचित देखरेख नहीं की गई तो महज कुछ साल में इसका अस्तित्व मिट जाएगा. यहां के रविंद्र नाथ दास की परिकल्पना से 1992 से ग्रामीण विकास मेला की शुरुआत हुई. 1996 में इस शिशु उद्यान की स्थापना हुई.

नौ दिनों तक होता है मेला का आयोजन 

https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/12/BAHRAGORA-PARK-11-1-225x300.jpg"

alt="" width="225" height="300" /> तत्कालीन उप विकास आयुक्त निधि खरे ने इसका उद्घाटन किया और तब से प्रत्येक साल जनवरी में नौ दिवसीय नेताजी सुभाष जयंती समारोह सह ग्रामीण विकास मेला आयोजित होने लगा. इस मेला को यहां एक उत्सव की तरह मनाया जाने लगा. मेला में नौ दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रहती थी. ग्रामीण प्रतिभाओं को निखारने के लिए यह एक बेहतर मंच था. किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए यहां कृषि उत्पाद प्रदर्शनी भी लगाई जाती थी और किसानों को पुरस्कृत किया जाता था. स्थानीय लोगों के सहयोग से यह उद्यान निखरता ही गया. सांसद और विधायकों ने भी इस शिशु उद्यान को संवारने में भरपूर सहयोग दिया. तत्कालीन सांसद शैलेंद्र महतो से लेकर वर्तमान सांसद विद्युत वरण महतो ने भी सांसद निधि से इस शिशु उद्यान में कई योजनाओं के लिए राशि दी. वहीं यहां के तत्कालीन विधायक डॉ दिनेश षाड़ंगी और कुणाल षाड़ंगी ने विधायक निधि से इस पार्क में योजनाओं की स्वीकृति दी. नतीजतन, इस उद्यान का चहुंमुखी विकास हुआ और पूर्वी सिंहभूम ग्रामीण जिला में सबसे सुसज्जित और खूबसूरत उद्यान बन गया. इस उद्यान में बच्चों के खेलने के लिए विभिन्न प्रकार के खेल उपकरण भी लगाए गए. यह उद्यान बच्चों से गुलजार होने लगा.

बुजुर्गों के मनोरंजन का साधन था पार्क

बुजुर्गों के मनोरंजन का साधन भी यह पार्क बन गया. कई महापुरुषों की मूर्तियां भी स्थापित की गईं. स्कूली बच्चों को इस उद्यान का भ्रमण कराया जाने लगा. इस उद्यान में कई आदिवासी फिल्मों की शूटिंग भी हुई. उद्यान की स्थापना के पूर्व पास के सेवेन ग्राउंड मैदान में 1992 से ग्रामीण विकास मेला शुरू हुआ. 1996 में उद्यान की स्थापना हुई और तब से ग्रामीण विकास मेला इसी उद्यान में आयोजित होने लगा. इस तरह 25 वर्षों तक ग्रामीण विकास मेला आयोजित हुआ. वर्ष 2019 से इस उद्यान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती नहीं मनाई जा रही है और ग्रामीण विकास मेला भी आयोजित नहीं हो रहा है.

चहारदीवारी टूटने से मवेशी पार्क में घुसकर खा जाते हैं पौधे

इन तीन वर्षों में उचित देखरेख के अभाव में उद्यान अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. ग्रामीण मेला विकास कमेटी के संरक्षक सह इस उद्यान के चौकीदार रविंद्र नाथ दास ने कहा कि विगत तीन साल से इस पार्क की उचित देखभाल नहीं हो रही है. उद्यान की चाहरदीवारी कई जगहों पर टूट गई है. उद्यान में मवेशी प्रवेश कर रहे हैं. उद्यान में निर्मित तालाब भी ध्वस्त हो गया है. उन्होंने कहा कि विधायक समीर महंती को आवेदन देकर उद्यान के विकास में सहयोग करने की मांग की है. कोविड-19 के कारण इस उद्यान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती नहीं मनाई जा रही है. ग्रामीण विकास मेला भी आयोजित नहीं किया जा रहा है. [wpse_comments_template]

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