Himangshu Karan
Bahragoda: भक्ति, परंपरा और आधुनिक उत्साह का एक अद्भुत संगम शहर में देखने को मिला, जब गुरुवार को मां दुर्गा को सिंदूर खेला की भावभीनी रस्म के बाद, गाजेबाजे के धुन पर नाचते-गाते विदाई दी गई. विजयादशमी के मौके पर, सदियों पुरानी परंपराओं का निर्वहन किया गया.
सिंदूर खेला: सुहाग और स्नेह की रस्म
सुबह से ही, सभी पूजा पंडालों और दुर्गा बाड़ियों में विवाहित महिलाओं का हुजूम उमड़ पड़ा. पारंपरिक लाल पाड़ सफेद साड़ी में सजी-धजी महिलाओं ने पहले मां दुर्गा की आरती की और उन्हें पान-मिठाई खिलाकर विदाई की रस्म निभाई. इसके बाद, उत्साह और उल्लास के साथ 'सिंदूर खेला' की रस्म अदा की गई. महिलाओं ने एक-दूसरे को जी भरकर सिंदूर लगाया, गले मिलकर अखंड सौभाग्य और खुशहाली की कामना की. यह दृश्य न केवल बंगाली संस्कृति की सुंदरता को दर्शाता है, बल्कि समाज में एकता और स्नेह का संदेश भी देता है.
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